खूँटी । विगत दिनों हुए पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद जैसे ही चुनाव के परिणाम सामने आए वहां की स्थिति कुछ बदल गई और हिंसा लूट और अत्याचार बढ़ गए। जो लगातार इसके शिकार उस राज्य के लोग हो रहे हैं। इसके सुरक्षा की गुहार के लिए लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र प्रेषित कर इस पर रोक लगाने तथा न्याय दिलाने की मांग की है। पद्मभूषण करिया मुंडा ने ज्ञापन पत्र में लिखा की चुनाव परिणाम के बाद बर्बर निंदनीय और लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली हिंसा में 50 लोग मारे गए हैं सैकड़ों लोग घायल हुए हजारों लोगों ने अपना घर परिवार छोड़कर पलायन करना पड़ा है और करोड़ों रुपए की संपत्ति लूट ली गई है तथा आगजनी में नष्ट भी हुई है। चुनाव परिणाम की आने के साथ ही महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुए महिलाओं के साथ प्रताड़ना की 150 से भी अधिक घटनाएं हुई बच्चों और बड़ों को भी नहीं बख्शा गया भारतीय लोकतंत्र के चुनावी इतिहास पर हमेशा के लिए या काला धब्बा बन गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का शिकार दुर्बल निर्धन व शांतिप्रिय वर्ग एसटी एससी समुदाय के लोग हुए हैं। यह बंगाल की धरती पर मानवाधिकार पर खुले हमले हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के 16 से 17 जिलों में 37 सौ से अधिक गांव में यह मामला प्रकाश में आया है। वहां डराने धमकाने मारपीट का सिलसिला अभी भी चल रहा है। 

पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने कहा कि राज सरकार की उदासीनता तथा परोक्ष रूप से संलिप्त की घोर निंदा करते हैं। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से तथा केंद्र सरकार से मांग किया है कि सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल एसआईटी का गठन कर घटनाओं की जांच हो और उसके जरिए आपराधिक न्यायिक प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए। इन घटनाओं से संबंधित आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय का गठन हो तथा विशेष न्यायालय बंगाल से बाहर बिहार एवं असम सीमावर्ती जिलों में गठित किया जाए। साथ ही इनके घरों की क्षति पहुंचाई गई उन्हें केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मरम्मत कराने हेतु क्षतिपूर्ति दी जाए और यह अनुसूचित जनजाति आयोग की देखरेख में हो तथा राष्ट्रीय महिला आयोग और रामकृष्ण मिशन विवेकानंद केंद्र या किसी अन्य विश्वस्त सक्षम तटस्थ एजेंसी को अधिकृत किया जाए। एसटीएससी व्यक्तियों के परिजनों को घटनाओं में मारे गए परिवारों में से एक एक सदस्य को केंद्र सरकार या उसके ऊपर मुंह में स्थाई नौकरी दी जाए। इसके अलावा उनके बच्चों को उचित स्तर तक निशुल्क शिक्षा और मां-बाप को आजीवन न्यूनतम ₹15000 मासिक पेंशन दी जाए। इसी प्रकार हिंसा में घायल और स्थाई रूप से अपंग हुए व्यक्तियों को राज्य सरकार एक मुह समुचित क्षतिपूर्ति दे और केंद्र सरकार उन्हें न्यूनतम ₹10000 मासिक पेंशन दे। साथ ही बंगाल के सुदूरवर्ती इलाकों में हिंसा डराने धमकाने का क्रम अभी तक चल रहा है इस पर हास्य पर तुरंत रोक लगाई जाए। इस घटना की निष्पक्ष जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के सेवारत रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग बना कर दी जीपीएस तक एक ख्याति प्राप्त सक्षम पुलिस पदाधिकारी और एक-एक व्यक्ति एससी एसटी जनरल समुदाय के प्रख्यात सामाजिक नेता को लेकर जांच टीम गठित किया जाए । पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने कहा कि बंगाल में राज्य सरकार के द्वारा शासन चलाना एक विफलता का प्रमाण है। इसलिए उन्होंने अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।

पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को प्रतिलिपि भेजे हैं। इसके अलावे भारत सरकार के गृह मंत्री और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष को भी प्रतिलिपि भेजा गया है।

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