रांची: झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में शुक्रवार को 1932 आधारित स्थानीय नीति और आरक्षण संशोधन विधेयक पास कर दिया गया। बिल के पारित होने के बाद आजसू विधायक डॉ लंबोदर महतो ने कहा कि जिले का अंतिम सर्वे या खतियानधारी को भी बिल में जोड़ा जाये। पश्चिमी सिंहभूम में 1913 से 1919 तक सर्वे हुआ। कई जिलों में 1927 से 1935 का सर्वे उपलब्ध है। पूर्वी सिंहभूम 1934 से 1938 तक के ही दस्तावेज उपलब्ध हैं।
डॉ लंबोदर महतो ने कहा है कि वह 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति का समर्थन करते हैं लेकिन इसमें कुछ संशोधन की जरूरत है। रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि सरकार ने इस बिल को जल्दबाजी में पेश किया है। इसे प्रवर समिति को सौंपना चाहिए, ताकि बाद में इसमें कोई कानूनी विवाद न हो। कानूनविदों से सरकार को सुझाव लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 2016 में रघुवर दास के कार्यकाल में बिल लाया गया था। हम इस बिल के समर्थन में हैं, लेकिन उसमें कुछ संशोधन की जरूरत है।
विनोद सिंह ने कहा कि 15 नवंबर को झारखंड के 22 साल हो जायेंगे। भौगोलिक और प्रशासनिक स्तर पर तो राज्य का विकास हुआ लेकिन सांस्कृतिक रूप में विकास नहीं हुआ। उन्होंने विधेयक का समर्थन किया। कहा कि विधेयक पारित हो जाने से कुछ नहीं होने वाला है। स्थानीयता नीति का नाम स्पष्ट हो। स्थानीयता और नियोजन की बात स्पष्ट की जाये। स्थानीयता की बात नियोजन से जुड़ी है। यह सिर्फ एक ऑर्नामेंट न रह जाये।नियोजन में प्राथमिकता मिलेगी, इसको इसमें जोड़ा जाये। राज्य के स्थानीय निवासियों को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में स्थानीयता को आधार माना जायेगा।
अमित यादव ने कहा कि कोई भी वार्ड पार्षद या मुखिया आम सभा के माध्यम से किसी व्यक्ति को झारखंडी प्रमाणित कर दे, तो क्या सरकार उसे स्थानीय मान लेगी। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का खतियान नहीं है, उसे स्वअभिप्रमाणित शपथ पत्र दिया जाना चाहिए। उसे मुखिया की ओर से प्रमाणित करना चाहिए। इसके बाद इसकी जांच की जाये और तब लोगों को स्थानीय का दर्जा दिया जाये।
उन्होंने सुझाव दिया कि 1932 का खतियान जिन लोगों के पास नहीं है, वे अपना वंशावली दें। मुखिया उसे अभिप्रमाणित करे और बीडीओ उसकी जांच के बाद उसे स्थानीय का दर्जा दें। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो साहिबगंज जैसे जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खतियान बहुत आसानी से तैयार हो जायेंगे और प्रदेश के लोगों की समस्या बढ़ती जायेगी।

भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने हेमंत सोरेन सरकार को लपेटते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ काम करने का दिखावा कर रही है। वह दिखाना चाहते हैं कि वे बहुत काम कर रहे हैं। उन्हें सिर्फ संकल्प लाकर बहाली शुरू कर देनी चाहिए थी।
उल्लेखनीय है कि झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक-2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में रखा। इस विधेयक के अनुसार वे लोग झारखंड के स्थानीय या मूल निवासी कहे जाएंगे जिनका या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज होगा।

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