रांची। 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने रविवार को पूर्वाहन 9:30 बजे झारखंड विधान सभा मे झंडा फहराया। झंडात्तोलन कार्यक्रम के उपरांत उन्होंने अपने संबोधन में आजादी के मूल्यों को बताते हुए कहा कि झारखंड ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध अलख को प्रज्वलित करने में पूरे देश में अग्रणी था। 1784 में बाबा तिलका मांजी एवं 1855 के संथाल विद्रोह ने ब्रिटिश हुकूमत को उस वक्त झकझोर दिया जब भारत में उपनिवेशवाद जन्म ले रही थी।धरती आबा बिरसा मुण्डा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा न केवल अंग्रेजों से लौहा लिया बल्कि राष्ट्रवाद की परिकल्पना को लोगों के बीच रखा।
अध्यक्ष ने राज्य के रामगढ़, पलामू, डोरोंडा के क्रांतिवीरों की बलिदान गांथा को भी याद करते हुए कहा कि आज से 75 वर्ष पूर्व जब लाल किले के प्राचीर से यूनियन जैक को उतार कर तिरंगे को फराया गया था तब आजाद भारत के जन्म के साथ आशाओं और उम्मीदों की एक विशाल प्राचीर ने भी जन्म लिया था।तब राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ, नियोजित विकास के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने उद्योग तकनीक के साथ-साथ जय जवान जय किसान का नारा देते हुए विश्व में भारत शानदार तरीके से सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरा। तमाम भय और शंकाओं के बावजूद 1991 में आर्थिक उदारीकरण को अपनाकर भारत ने संपूर्ण विश्व को अपना लोहा मनवाया। लेकिन विकास की यह कहानी तब तक अधूरी रहेगी जब तक 15 अगस्त 1947 को हर आंख से आंसू पोछने के वादे पर कार्य नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 21 वी सदी के बदलते विश्व परिदृश्य में देश के सामने कई नई चुनौतियां हैं। अंतर्राष्ट्रीय एवं आंतरिक सुरक्षा की बीड़ा उठाते हुए हमारे जवानों ने देशवासियों की रक्षा के लिए जिस प्रकार अपने प्राणों की आहुति दी है इसके लिए एक कृतज्ञ राष्ट्र अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि के अलावा क्या दे सकता है। आज का दिन मैं उन कोरोना योद्धाओं को भी नमन करता हूं जो कर्तव्य पथ पर अपने प्राणों की आहुति दे दी।
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