रांची। हिन्दू जागरण मंच के योजनानुसार फेसबुक लाईव कार्यक्रम में बुधवार को हिन्दू साम्राज्य उत्सव के उपलक्ष्य में मंच के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि नाथ शाहदेव ने छत्रपति शिवाजी के जीवन पर लोगों सम्बोधित करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के कारण जीवन मे बहुत बदलाव आ गया है। प्रकृति के संदेशों को हम अनदेखा कर रहे थे इस कारण प्रकृति ने पूरे विश्व को सिखाया। प्रधानमंत्री ने बड़े फैसले लिए। हम सब भाग्यशाली हैं जो वर्तमान भारत के नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल देख रहे हैं।”
“शिवाजी साहस के प्रतीकस्तम्भ”
छत्रपति शिवाजी साहस के प्रतीक स्तम्भ थे। हिन्दू साम्राज्य दिवस शिवाजी के राज्याभिषेक भारतीय इतिहास का स्वर्णिम मोड़ है। भारत मे वैभव को नही त्याग को हमेशा पूजा होती रही है। जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान किया उन्हें हमेशा देश ने पूजा है,सराहा है। छत्रपति शिवाजी के जन्मकालखण्ड में हिन्दू समाज की स्थिति अत्यंत दयनीय थी और आठ मुस्लिम सल्तनत चल रहा था। हिन्दू समाज में हीनता की भावना थी। बीते हजारों सालों में गुलामी से लड़े और शहीद हुए। विषम परिस्थिति में समाज गुजर रहा था। लेकिन छत्रपति शिवाजी ने अकेले अपने दम पर पूरे मुगल सल्तनत की नींव हिला दी। जीवनकाल में 276 युद्ध लड़े और कभी पराजय का सामना शिवाजी ने नहीं किया।
शिवाजी की जीवनी में इतना कुछ भरा पड़ा है अगर हम कुछ अंश भी ग्रहण करें तो जीवन मे वीरता का बोध होगा। अफजल खान ने धूर्तता से शिवाजी को मारने की तैयारी थी लेकिन शिवाजी को इसका भान हो गया। शिवाजी के सारी योजनाएं पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध तरीके से व्यू रचना का आज भी युद्ध कला के निपुणता को सभी प्रशंसा करते हैं। औरंगजेब के ससुर साहिस्ता खान के सैनिक भरे कीलें में घुसकर अपनी वीरता का परिचय दिया और साहिस्ता खान पर अंधेरे में भी हमला करके सुरक्षित किले से निकल गए।
शिवाजी अपने पूरे कार्यकाल में जनता के प्रति समर्पित थे। जनता के हर सुख दुख के साथी थे। आत्मविश्वास व गौरव गाथा के प्रतीक थे छत्रपति शिवाजी। हम अपने पूर्वजों,महापुरुषों व गौरवशाली अतीत को पढ़ें तो हमे बहुत कुछ जानने को मिलेगा जो हमसे छुपाया गया है।

Show comments
Share.
Exit mobile version