हजारीबाग, 20 फरवरी (स्वदेश टुडे)। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बरही थाना क्षेत्र अंतर्गत दुलमाहा गांव में रुपेश पांडे हत्याकांड का संज्ञान लिया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रविवार को घटना के शिकार रूपेश पांडे के पैतृक आवास बरही नईटांड गांव पहुंच कर उसके परिजनों से मुलाकात की।
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आयोग के अध्यक्ष ने होटल शीतल विहार में डीसी आदित्य कुमार आनंद, एसपी मनोज रतन चौथे, एसडीओ पूनम कुजुर, डीएसपी नजीर अख्तर सहित इस मामले की अनुसंधान में जुटी एसआईटी टीम व मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी से कई अहम बिंदुओं पर जानकारी हासिल की। उन्होंने बरही अनुमंडलीय अस्पताल के डीएस डॉ. प्रकाश ज्ञानी सहित हजारीबाग में पोस्टमार्टम करने वाले तीन सदस्यीय चिकित्सक टीम में शामिल डॉ अजय भेंगरा, डॉ संजीव कुमार हेंब्रम व डॉ. महंत प्रताप से भी जानकारी ली। इसके अलावा जिला बाल कल्याण पदाधिकारी व बाल कल्याण समिति से भी जानकारी ली।
आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रुपेश की माता उर्मिला देवी, पिता सिकंदर पांडे, चाचा अनिल पांडे, चचेरे चाचा जितेंद्र पांडे व परिजनों से बंद कमरे में करीब 40 मिनट तक बातचीत की। साथ ही छह फरवरी को घटनास्थल पर मौजूद रुपेश पांडे के तीन दोस्तों से भी जानकारी ली।
किशोर अधिनियम का हुआ उल्लंघन : अध्यक्ष
जानकारी लेने के बाद आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पत्रकारों को बताया कि बरही में हुए इस जघन्य हत्याकांड में जान गवां चुके किशोर रुपेश पांडे को न्याय दिलाने के लिए यहां दौरा किया है। उन्होंने यहां पुलिस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, एसआईटी के चार्ज ऑफिसर, थाने के चाइल्ड वेलफेयर पुलिस ऑफिसर, जिला के पुलिस अधीक्षक, पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों, जांच करने वाले डॉक्टर, जिला बाल कल्याण अधिकारी, बाल कल्याण समिति से बातचीत की है। साथ ही बच्चे के परिजनों और दोस्तों से भी बातचीत की है।
उन्होंने बताया कि देश में बच्चों के अधिकारों को संरक्षण करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम लागू है। उसके प्रावधानों का पूर्णरूपेण पालन हो, ये सुनिश्चित करवाने का काम राष्ट्रीय बाल आयोग करेगा। पीड़ित पक्ष को न्याय के लिए किसी भी प्रकार का डर या दबाव में आने की आवश्यकता नहीं है। आयोग उनके साथ है। न्याय और हक की लड़ाई लड़ने के लिए उनको सुरक्षा और संरक्षा मिले और खासकर नाबालिग गवाहों को प्रताड़ित न किया जाए, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
साथ ही उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे भी राज मिले हैं जो किशोर अधिनियम न्याय भावना से विपरीत हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा प्रतीत हो रहा कि किशोर न्याय अधिनियम के जो प्रावधान नाबालिग के साथ व्यवहार करते समय पुलिस को अपनाने चाहिए, वे नहीं अपनाए गए। इसके लिए हम जांच रिपोर्ट में विस्तृत जानकारी दे पाएंगे। उन्होंने पीड़ित परिवार वालों की भी बात सुनी है और पुलिस से भी पूछा है कि आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए क्या करवाई की है। हालांकि, अभी तक यह जानकारी नहीं प्राप्त हुई है कि किसी आरोपित की प्रॉपर्टी कुर्की करने की कार्रवाई या किसी आरोपित को फरार घोषित करने की कार्रवाई या पुलिस का अनुसंधान कहां तक पहुंचा है।
पीड़ित परिवार ने सौंपा आवेदन
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को रूपेश पांडे के चाचा अनिल पांडे व परिजनों ने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ झूठा एफआईआर के संबंध में आवेदन दिया। आवेदन में बताया गया कि विगत छह फरवरी के देर शाम रुपेश पांडे के मौत की खबर के उपरांत कुछ असामाजिक तत्वों ने दुलमाहा गांव में आगजनी को अंजाम दिया गया था लेकिन एफआईआर में ज्यादातर उन बच्चों का नाम दे दिया गया है जो वहां नहीं थे और उन लोगों का उम्र 18 वर्ष से कम है। इन्हें जानबूझकर षड्यंत्र के तहत अंधकार में झोंका जा रहा है। उन्होंने इन बच्चों के नाम वापस लेने की मांग की है।