खूंटी: जिले के मरचा-रनिया सोदे पथ निर्माण के लिए अपनी जमीन देने वाले रैयत पिछले पांच साल से मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

2018 में ली गयी जमीन का अब तक एक पैसे का भी भुगतान जमीन मालिकों को नहीं किया गया है। मुआवजा पाने के लिए भू स्वामी प्रखंड कार्यालय से जिला और राजधानी तक का लगातार चक्कर काट रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन इस संबंध में खामोशी अख्तियार किये हुए है।

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तोरपा के विधायक कोचे मुंडा इस मामले को विधानसभा में भी उठा चुके हैं और ग्रामीणों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन भी पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह को सौंप चुके हैं लेकिन अब तक सरकार की ओर से मुआवजा भुगतान के संबंध में कोई सार्थक पहल नहीं की गयी।

मरचा से सोदे वाया रनिया पथ का निर्माण कार्य 2018 में शुरू किया गया

जानकारी के अनुसार मरचा से सोदे वाया रनिया पथ का निर्माण कार्य 2018 में शुरू किया गया। बिना ग्रामीणों की सहमति के ठेकेदार ने सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया।

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जब इस बात की जानकारी जमीन के रैयतों को हुई, तो एक रैयत तुरीगड़ा निवासी और सेवानिवृत्त शिक्षक रामटहल कांशी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया और खूंटी के तत्कालीन उपायुक्त के समक्ष अपनी बात रखी।

DC ने ग्रामीणों की बात को गंभीरता से लिया और पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को अधिग्रहित जमीन के मुआवजा के भुगतान का आदेश दिया।

सड़क निर्माण के लिए सरकार ने 76 करोड़ 58 लाख 57 हजार छह सौ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी, लेकिन भू अर्जन के लिए प्रस्तावित 21 करोड़ 53 लाख 9328 रुपये की स्वीकृति नहीं मिली। बाद में पथ निर्माण विभाग ने पुनरीक्षित प्राक्कलित राशि 102 करोड़ छह लाख 67 हजार रुपये के लिए अधियाचना सरकार को भेजी लेकिन पांच साल गुजर जाने के बाद भी मुआवजा की फाइल सरकार के पड़ी है।

रामटहल कांशी ने चेतावनी दी है कि

उल्लेखनीय है कि भुगतान के लिए रैयतों ने मुआवजा भुगतान संघर्ष समिति का गठन किया। इसमें तुरीगड़ा गांव के रामटहल कांशी, डिगरी(रनिया) निवासी शिव अवतार सिंह, विश्रामपुर निवासी अग्राहम कोंगाड़ी, मरचा के ग्राम प्रधान सुशील टोपनो और तोकेन निवासी बिरसा मांझी को शामिल किया गया। समिति के सदस्यों ने मंत्रालय से लेकर जिला और प्रखंड के अधिकारियों तक दौड़ लगायी।

इधर, रामटहल कांशी ने चेतावनी दी है कि यदि मुआवजे का शीघ्र भुगतान नहीं होता है, तो रैयत सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन करेंगे और अधिकारियों का घेराव करेंगे। उसके बाद भी सरकार की नींद नहीं खुली तो सभी रैयत न्यायालय की शरण में जायेंगे।

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