हजारीबाग। सदर विधायक मनीष जायसवाल ने अपने अब तक के कैरियर का दूसरा वर्चुअल प्रेस- वार्ता ज़ूम एप्प के जरिए मंगलवार को किया। जिसमें उन्होंने विशेष रुप से झारखंड की वर्तमान गठबंधन सरकार और उनके विफलताओं के बाबत बताया कि पिछले डेढ़ साल से झारखंड बेहाल है, उग्रवाद चरम पर है, अपराधी बेलगाम हो गए हैं, हत्या, चोरी, बलात्कार की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही है और राज्य की कानून व्यवस्था में भारी गिरावट आई है।

महागठबंधन की सरकार पूरी तरह फेल साबित हो रही है। सरकार के रहनुमा सिर्फ अपनी एजेंडा को साधने में जुटे हैं, उन्हें जनहित से कोई वास्ता नहीं है। ऐसी परिस्थिति में झारखंड राज्य पुलिस महकमे के मुखिया डीजीपी नीरज सिन्हा ने पुलिस मुख्यालय से इस संबंध में राज्य के आईजी, डीआईजी,सभी एसपी को पत्र भेजते हुए जनप्रतिनिधियों को हर हाल में उचित सम्मान देने और उनके द्वारा दी जाने वाली जानकारी पर कार्यवाही करने की का निर्देश जारी किया गया है। पत्र में कहा गया है कि राज्य के मंत्री, सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि के साथ शिष्टाचार के अनुसार उचित आदर के साथ व्यवहार करना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

विधायक मनीष जायसवाल ने डीजीपी नीरज सिन्हा के इस बयान पर विरोध दर्ज करते हुए कहा की जनप्रतिनिधि को जनता का नुमाइंदा माना जाता है और लोकतंत्र में जनता की अदालत सबसे बड़ी अदालत है और जनता सर्वोपरि होती है। जनप्रतिनिधियों के साथ शिष्टाचार का व्यवहार करने का निर्देश दिया गया लेकिन जनता का जिक्र तक नहीं किया गया यह कतई उचित नहीं है। सिर्फ जनप्रतिनिधि ही नहीं बल्कि जनता चाहे कोई भी हो आम या खास जो भी पुलिस के संपर्क में आए उनसे पुलिस को शिष्टाचार की भाव से पेश आना चाहिए और कानून के दायरे में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। विधायक मनीष जायसवाल ने कहा की डीजीपी नीरज सिन्हा का यह बयान लोकतंत्र के प्रति अशोभनीय और इसमें महज राजनीतिक आकाओं को खुश करने की चिंता अत्यधिक प्रतीत होती है। मैं सूबे के डीजीपी नीरज सिन्हा से यह मांग व आग्रह करता हूं कि तत्काल भी अपने ब्यान को परिवर्तित करते हुए आम जनता के साथ भी पुलिस द्वारा शिष्टाचार का व्यवहार करने का निर्देश दिए जाने से संबंधित संशोधित ब्यान दिया जाना चाहिए।

यह उनका दायित्व ही नहीं बल्कि धर्म भी है कि जो भी उनके शरण में आए उन्हें कानून के दायरे में रहकर उचित सम्मान दिया जाए। विधायक श्री जायसवाल ने कहा कि मुझे पुलिस से कोई शिकायत नहीं है। मैं जब भी जहां भी जनता की जायज काम को लेकर उनके बीच गया मुझे उचित सम्मान मिला और मेरा हर जायज़ काम हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस का प्रथम कर्त्तव्य है कि जनता की बात सुनी जाए और जनता के हितों की सदैव रक्षा हो परन्तु झारखण्ड डीजीपी द्वारा यह कहना कि “पुलिस जनप्रतिनधियों, विधायकों और सांसदों के साथ विशेष व्यवहार करे” यह लोकतंत्र की बुनियादी भावना का अनादर होगा। डीजीपी साहब को जनता की भावना का आदर करते हुए अपने बयान में तत्काल परिवर्तित अवश्य करना चाहिए। विधायक श्री जायसवाल ने प्रेस- वार्ता के दौरान पत्रकारों के सभी सवालों का भी जवाब दिया ।

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