खूँटी। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आज खूंटी जिला के अड़की प्रखंड अंतर्गत भगवान बिरसा मुण्डा के जन्मभूमि उलीहातू गांव का दौरा करते हुए कुटीर उद्योगी कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बाँस से बनने वाले सामानों की जानकारी साझा किया। उन्होंने बांस से बननेवाले वस्तु, बाजार में मांग, सामानों के बिक्री के माध्यम आदि की जानकारियाँ दी। यह कार्यक्रम प्रसार शिक्षा निदेशालय कार्की के तत्वाधान में आयोजित किया गया था। जिसमें बिरसा बीज आच्छादन योजना अंतर्गत बीज वितरण तथा पशु चिकित्सा शिविर लगाया गया था।

इसी क्रम में वैज्ञानिकों ने बाँस के प्रकार , उनसे बननेवाले सामान, ट्रेनिंग पर भी चर्चाएंँ भी की। इस दौरान डीन फॉरेस्ट्री के वैज्ञानिक डॉक्टर एमएस मलिक ने बताया कि बांस के कई प्रकार हैं जिसका उपयोग अलग अलग होता है। फॉरेस्ट्री कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ वसंत उन्होंने बांस की खेती करने पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में बांस की खेती कर इसे व्यवसाय का माध्यम बनाया जा सकता है।

इसी क्रम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा कुछ किसानों के बीच धान और अरहर के बीज का वितरण भी किया गया। इस दौरान डॉक्टर ज्योतिष केरकेट्टा, डॉ बंधन उराँव, सुखराम मुंडा, ट्रेनर महावीर महली जीतन देवी, समाजसेवी सुखराम पाहन आदि उपस्थित थे।

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