मेदिनीनगर। झारखंड पुलिस का एक सिपाही बड़ा अपहरण गिरोह चलाता था। इस गिरोह में सिपाही के भाई के साथ-साथ कई लोग शामिल थे। 25 मई को पलामू के नावा बाजार थाना क्षेत्र के कंडा घाटी में मिथिलेश प्रसाद और ड्राइवर श्रवण प्रजापति का सिपाही ने ही अपहरण किया था। दोनों अपहृतों का नरकंकाल गढ़वा के रमकंडा थाना क्षेत्र के पुनदागा से बरामद हुआ है। दोनों की पहचान के लिए पुलिस डीएनए टेस्ट करवाने वाली है।
इस घटना को अंजाम देने के आरोप में पलामू पुलिस ने सोमवार को देवघर जिला बल में तैनात सिपाही प्रेमनाथ यादव, उसके ममेरे भाई अजय यादव, चचेरे भाई अमरेश यादव , सफीक अंसारी और ओमप्रकाश चंद्रवंशी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर ही दोनों अपहृतों का नरकंकाल बरामद किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों के पास से पुलिस ने चार रायफल और 80 गोली बरामद किया है।
बताया जाता है कि बिहार के औरंगाबाद के कपड़ा व्यवसायी मिथिलेश प्रसाद अपने रिश्तेदार के यहां एक समारोह में भाग लेकर वापस लौट रहे थे। इसी क्रम में 25 मई को पलामू के नावा बाजार थाना क्षेत्र के कंडा घाटी में अपराधियों ने उनका अपहरण कर लिया। अपहरण के बाद 10 लाख रुपये की फिरौती उनसे मांगी गई थी. बाद में यह रकम अपराधियो को दी गई थी।
एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि 25 मई को अपहरण हुआ था एक जून को अपराधियों सबसे पहले ड्राइवर की हत्या की। उसके बाद मिथिलेश प्रसाद की हत्या कर दी थी। हत्या के बाद व्यवसाई के शव को यूरिया, खाद और नमक डालकर दफना दिया गया था। साथ ही ड्राइवर को जंगल के दो पहाड़ियों के खोह में फेंक दिया था। पलामू एसपी ने बताया कि दोनों अपहरण कांड का मास्टरमाइंड सिपाही प्रेमनाथ यादव था। अपहरण की घटना को अंजाम देने के बाद सारे सबूतों को मिटाने के लिए वह सिपाही का दिमाग लगाता था। एसपी ने बताया कि वह देवघर जिला बल में तैनात था। पलामू पुलिस की स्पेशल टीम देवघर गई थी। देवघर से ही परीक्षा ड्यूटी के दौरान से उसे गिरफ्तार किया गया। एसपी ने बताया कि सिपाही पूरे गिरोह पर निगरानी रखता था। व्यवसायी का उसने खुद से अपहरण किया था और फिरौती की रकम भी उसने खुद वसूली थी। उन्होंने बताया कि सिपाही पूरी तरह से सबूत को मिटाने के लिए पुलिसिया दिमाग लगाता था। फिरौती की रकम भी उसने अपने भाइयों के साथ मिल कर बांटी थी, दूसरे को नहीं दिया था।
एसपी ने बताया कि सिपाही द्वारा संचालित गिरोह कई अपहरण की घटना को अंजाम दे चुका है। घटना के दिन व्यवसायी सिर्फ अच्छी गाड़ी में सफर करने की वजह से टारगेट हुआ था। गिरोह ने यह योजना बनाई थी कि रोड से गुजरने वाले भी किसी भी अच्छी गाड़ी पर सवार व्यक्ति का अपहरण करना है। घटना के वक्त प्रेमनाथ अपनी कार से ब्रेकर के पास व्यवसाई की कार को ओवरटेक किया और उसका अपहरण कर लिया। अपहरण के बाद दोनों को गढ़वा के रमकंडा के पुनदागा में रखा गया था।
गिरफ्तार प्रेम नाथ यादव का भाई अजय यादव और अमरेश यादव उसकी निगरानी करते थे। 15 दिनों तक मिशन मोड में पुलिस ने किया। इस मामले के खुलासे के लिए 15 दिनों तक पुलिस ने मिशन मोड में काम किया।