रांची।  राजधानी समेत प्रदेश में सरकारी स्कूल खुल चुके हैं. लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की लेटलतीफी और हाजिरी में की जा रही घपलेबाज़ी को रोकने की चुनौती प्रशासन के सामने खड़ी हुई है. इस समस्या से निपटने के लिए झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग ने स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीन लगवाई है. एक तरफ विभाग को यह कारगर कदम लग रहा है तो दूसरी तरफ इस पेचीदा और धीमी मशीनी व्यवस्था का एक सुर में विरोध करते हुए इसे हटाने की मांग करने लगे हैं.

शिक्षा विभाग के मुताबिक, अगर किसी स्कूल की बायोमेट्रिक मशीन खराब है, तो वहां के शिक्षकों को टैब के रूप में दूसरा ऑप्शन भी दिया गया है. टैब के ज़रिये शिक्षक हाज़िरी अपडेट कर सकते हैं. यही नहीं, शिक्षक स्मार्टफोन में अटेंडेंस एप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. हालांकि एक स्मार्टफोन से सिर्फ एक शिक्षक की ही अटेंडेंस अपडेट होगी.

“पांच मिनट प्रति टीचर” है बड़ी समस्या
शिक्षकों और स्कूल के अन्य स्टाफ को बायोमेट्रिक मशीन से हाज़िरी लगाने के लिए पांच मिनट तक का समय लग रहा है. स्टाफ का कहना है कि कई बार तो लाइन में लगने तक की नौबत आ जाती है. राजधानी रांची में प्राथमिक स्कूल से लेकर प्लस टू तक लगभग पचास सरकारी स्कूल हैं. प्रत्येक स्कूल में एक बायोमेट्रिक मशीन लगाई गई है. जानकारी के मुताबिक इनमें से लगभग आधे से अधिक स्कूलों में पिछले कुछ दिनों से मशीन के अचानक हैंग और सर्वर डाउन होने की वजह से शिक्षकों को हाज़िरी संबंधी समस्याएं पेश आई हैं.

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने बायोमेट्रिक हाज़िरी का विरोध किया है. संघ के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने शिक्षा सचिव से अपील की है कि ऑनलाइन बायोमैट्रिक उपस्थिति पर पुनर्विचार किया जाए. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने में एक ही स्कैनर को सभी शिक्षकों को एक-दूसरे के बाद छूना होगा. इससे कोरोना के खतरे के समय में व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों ही रूपों में स्वास्थ्य सुरक्षा को हानि की भी आशंका है.

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