चरही।  चिंतपूर्णी स्टील प्राइवेट लिमिटेड, मौजा इंदरा , पोस्ट जरबा, थाना चरही, हजारीबाग का स्थापना सहमति (CTE ) पर्षद मु. पत्रांक -CTE-4637710/2020/44 दिनांक 22 जनवरी 2020 एवं संचालन सहमति (CTO) पर्षद मु. पत्रांक CTO-7495232/2020/827 को रद्द कर स्टील प्लांट को बंद करने एवं दोषी पदाधिकारियों एवं चितपूर्णी स्टील प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक के ऊपर कानूनी कार्रवाई करने के लिए आर.टी.आई. कार्यकर्ता शमशेर आलम के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री, महामहिम राज्यपाल महोदय, उपायुक्त – हजारीबाग, सचिव झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को आवेदन दिया गया है ।

आरटीआई कार्यकर्ता शमशेर आलम के द्वारा चिंतपूर्णी स्टील प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक एवं झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पदाधिकारियों पर यह आरोप लगाया गया है की उनकी लापरवाही एवं भ्रष्ट नीति के कारण अगल बगल के सैकड़ों ग्रामीणों , वन एवं पर्यावरण , नदी नाले , खेत खलियान इत्यादि को नष्ट किया जा रहा है । चिंत पुरनी स्टील प्राइवेट लिमिटेड द्वारा झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के नियमो की अवहेलना की जा रही है।शमशेर आलम ने यह भी आरोप लगाया है कि कैसे झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा बगैर जांच पड़ताल किए संचालन सहमति पत्र दिया जा रहा है ? इन दिशनिर्देशों का हो रहा उलंघन

  1. नदी के किनारे खुले में लौह अयस्क का डस्ट रखा जा रहा है।
  2. चिंतपूर्णी स्टील प्राइवेट लिमिटेड के फैक्ट्री के चारदीवारी के चारों तरफ 15 से 20 मीटर की चौड़ाई में 3 टियर का घना वृक्षारोपण करना था । लेकिन प्रबंधन द्वारा वृक्षारोपण नहीं किया गया ।
  3. किसी भी सूरत में फैक्ट्री से निकलने वाला धूल गर्दा को किसी के खेत में नहीं जाने देना चाहिए था लेकिन फैक्ट्री से निकलने वाला प्रदूषित धूल और कचरा वहां के खेतों के साथ-साथ नदियों में भी जा रहा है ।
  4. चिंतपुरनी स्टील प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा फैक्ट्री के 37 एकड़ के 33% जमीन पर वृक्षारोपण करना था लेकिन उन्होंने अभी तक इस नियम का भी पालन नहीं किया ।
  5. फैक्ट्री के अंदर आए दिन नियमों की अनदेखी करने के कारण कई दुर्घटना होती रहती है । जिसमें कई बार मजदूरों की जान भी चली गई ।
  6. प्रदूषण को रोकने एवं पर्यावरण को बचाने के लिए 2015 में 7 करोड रुपए खर्च करने का आदेश था ।
  7. फैक्ट्री के अगल बगल के गांव में प्रत्येक वर्ष एक करोड़ 40 लाख रुपए खर्च करने का आदेश दिया गया था ।
  8. प्रत्येक वर्ष फैक्ट्री मालिकों को फायदे का 2% हिस्सा अगल-बगल के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास करने के लिए लगाए जाने का आदेश है।प्रबंधन की मनमानी नही रुकी तो किया जाएगा उग्र आंदोलन आर.टी.आई. एक्टिविस्ट शमशेर आलम ने कहा कि यह सब नियम – कानून सिर्फ कागजों पर ही रह गए हैं फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा कुछ असामाजिक तत्वों का पालन पोषण किया जा रहा है और ग्रामीणों के जान को जोखिम में डाला जा रहा है । यदि 15 दिनों के अंदर फैक्ट्री प्रबंधन ने अपनी मनमानी पर अंकुश नहीं लगाया तो उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है ।
Show comments
Share.
Exit mobile version