रांची। राज्य के करीब 3000 अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को पिछले 2 साल के मानदेय का भुगतान होगा। इसके लिए सभी जिलों से इन पारा शिक्षकों की अबसेंटी मांगी गई है। इनमें 1850 वैसे शिक्षक हैं, जो प्रशिक्षित नहीं हो सके हैं, जबकि 1150 पारा शिक्षक वैसे हैं, जिनके सर्टिफिकेट में एनसी (नॉट क्लियर) लिख दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें प्रशिक्षित मान लिया गया। राज्य सरकार तीन हज़ार अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के बकाया मानदेय के रूप में 100 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इन पारा शिक्षकों का अप्रैल 2019 से मार्च 2021 तक का मानदेय का भुगतान एक साथ किया जाएगा। वर्तमान वित्तीय वर्ष में इन पारा शिक्षकों का मानदेय नियमित कर दिया गया है।

 

जानिए पूरा मामला?

केंद्र सरकार के निर्देश के बाद नवंबर 2017 से देशभर के अप्रशिक्षित शिक्षकों को एनआईओएस के माध्यम से डीएलएड का प्रशिक्षण दिया जाना शुरू किया गया था। 2 बैच में दिए गए प्रशिक्षण में मार्च 2019 तक सभी का प्रशिक्षण पूरा होना था। अप्रैल 2019 से किसी भी स्कूल में अप्रशिक्षित शिक्षकों को नहीं रखा जाना था। इसके आधार पर झारखंड के करीब 3000 पारा शिक्षक जो या तो डीएलएड की परीक्षा में पास नहीं कर सके थे और जिनके सर्टिफिकेट में एनसी लिखा हुआ था, उनका मानदेय रोक दिया गया था। परीक्षा में असफल अप्रशिक्षित शिक्षकों को सेवा से मुक्त करने का भी निर्देश दिया गया, लेकिन मामला कोर्ट में रहने और कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस पर रोक लगा दी गई। बाद में कोर्ट के पहल के बाद ही ऐसे पारा शिक्षकों को बकाया मानदेय का भुगतान करने का निर्देश जारी किया गया। इस वजह से 2 साल तक बिना मानदेय के काम करने वाले इन शिक्षकों को अब मानदेय का भुगतान होना शुरू हुआ है। सरकार ने पहले चरण में वर्तमान वित्तीय वर्ष का मानदेय का भुगतान किया। अब पिछले 2 वर्ष के मानदेय के भुगतान की प्रक्रिया शुरू की गई। जिलों से इन 2 सालों की अबसेंटी आने के बाद राज्य सरकार अविलंब मानदेय का भुगतान एकमुश्त में करेगी।

Show comments
Share.
Exit mobile version