रांची। झारखंड के कुछ शिक्षकों पर संकट का बादल छाया हुआ है। बता दें कि झारखंड के वित्तरहित कॉलेजों और स्कूलों को मिलने वाले अनुदान पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। करीब आधे संस्थानों को अनुदान के लाभ से वंचित रहना पड़ सकता है। इससे करीब 5000 शिक्षक और शिक्षकेतरकर्मी प्रभावित हो सकते हैं। यह नौबत झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) में चेयरमैन का पद खाली होने की वजह से आएगी। क्योंकि जैक अध्यक्ष के अनुमोदन के बाद ही वित्तरहित स्कूल-कॉलेजों को अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू होती है।

जैक के अध्यक्ष के नहीं रहने की वजह से संस्कृत विद्यालयों के सभी शिक्षक और कर्मियों का अनुदान रुक सकता है। राज्य में 33 संस्कृत विद्यालय हैं, जहां छात्र नामांकित हैं। इन सभी संस्थानों की नई कमेटी का गठन किया जाना है। जिससे वह अनुदान के लिए कमेटी के गठन होने के बाद ही आवेदन कर सकेंगे।

 

जैक की अनुशंसा पर राज्य के वित्तरहित स्कूलों और कॉलेजों के शासी निकाय का गठन किया जाता है। इस कमेटी में पांच सदस्य होते हैं। इसमें स्थानीय विधायक, अनुमंडल पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जैक के प्रतिनिधि और प्रभारी या प्राचार्य होते हैं। इसके बाद अध्यक्ष और सचिव का चयन किया जाता है। स्थाई प्रस्वीकृति प्राप्त संस्थान में हर तीन साल के बाद नए रूप से कमेटी का गठन होता है। स्कूल-कॉलेज के सेक्रेट्री को ही ऑनलाइन आवेदन करने की जिम्मेदारी दी गई है। जब संस्थान में कोई सचिव ही नहीं रहेंगे तो वे कैसे आवेदन कर सकेंगे। यह बड़ा सवाल है।

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