नई दिल्ली। भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में ‘दुश्मन टैंक’ को नष्ट करने के लिए युद्ध अभ्यास करके पड़ोसी चीन को सख्त सन्देश दिया है। पूर्वी क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में सैनिक आक्रामक प्रशिक्षण करके जोरदार अभ्यास कर रहे हैं। दरअसल, एलएसी के पार चीनी सेना की गतिविधियां मामूली बढी हैं लेकिन भारतीय सेना की उन पर कड़ी नजर है। भारतीय सेना ने तवांग में उन्नत विंटेज एल -70 एयर डिफेन्स सिस्टम तैनात करने का फैसला लिया है।

भारत-चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना के जवानों ने गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी क्षेत्र की कठिन जलवायु परिस्थितियों में आक्रामक प्रशिक्षण और जोरदार अभ्यास करते देखा गया। एक वीडियो में भारतीय सेना का टैंक रोधी दस्ता एलएसी के पास तवांग सेक्टर में दुश्मन के टैंकों को नष्ट करने के लिए एक युद्ध अभ्यास का प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रहा है। यहीं पर इस महीने की शुरुआत में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय जवानों के आमने-सामने होने की सूचना मिली थी। वीडियो में टैंक रोधी दस्ते को मिसाइल फायरिंग करके अपने बख्तरबंद लक्ष्यों को नष्ट करते देखा जा सकता है। गहन प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में भारतीय सेना के सैनिकों को एक भूमिगत बंकर से बाहर आते देखा जा सकता है।

पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने बताया कि चीनी पक्ष से किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारतीय सेना के सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अरुणाचल में एक अभ्यास का प्रदर्शन किया है। भारतीय सेना एलएसी पर हमारे दुश्मन को स्पष्ट संदेश दे रही है। एलएसी पर तैनात भारतीय सेना के जवानों को नई तकनीक के पानी की आपूर्ति पाइप प्रदान किए गए हैं, जो सर्दियों में शून्य से 20 डिग्री नीचे तापमान जाने पर पानी को जमने से रोकते हैं। भारत और चीनी सेना के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत भविष्य के किसी भी परिणाम के लिए खुद को तैयार करने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। इसमें एलएसी पर गोला-बारूद और रक्षा प्रणालियों का उन्नयन और तैनाती शामिल है।

इसी क्रम में भारतीय सेना ने भारत-चीन सीमा के साथ अरुणाचल प्रदेश के तवांग में अन्य बड़ी रक्षा प्रणालियों के बीच उन्नत विंटेज एल -70 एयर डिफेन्स सिस्टम तैनात किया है। यह तोपों से लैस होने वाली देश की पहली एयर डिफेन्स रेजिमेंट में से एक होगी। आर्मी एयर डिफेंस की कैप्टन सरिया अब्बासी ने उन्नत एल-70 वायु रक्षा तोपों के बारे में बताया कि इसे अब सामरिक नियंत्रण रडार और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ एकीकृत किया जा सकता है। एल70 तोपों को मूल रूप से स्वीडिश रक्षा कंपनी बोफोर्स एबी ने 1950 के दशक में निर्मित किया था और भारत ने 1960 के दशक से शामिल करना शुरू किया। इस तोप को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने उन्नत किया है।

उन्होंने बताया कि ये तोपें सभी मानवरहित वायु यान, मानवरहित लड़ाकू यान, हमलावर हेलीकॉप्टर और आधुनिक विमान को गिरा सकती हैं। सभी मौसम में काम करने में सक्षम इन तोपों में दिन-रात काम करने वाले टीवी कैमरे, एक थर्मल इमेजिंग कैमरा और एक लेजर रेंज फाइंडर भी लगाया गया है। उन्होंने कहा कि तोप से गोला दागने की सटीकता बढ़ाने के लिए इसमें एक मजल वेलोसिटी रेडार भी लगाया गया है। यह उन्नत तोप प्रणाली उच्च तकनीक वाली इजराइली रडार के साथ संचालित होती है, इसलिए इसे मौजूदा वायु रक्षा तोपों में सर्वश्रेष्ठ गिना जा सकता है।

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