नई दिल्ली। दुनियाभर में एक चौथाई युवा अपने स्मार्टफोन पर इतना निर्भर हैं कि स्मार्टफोन आस-पास न होने पर उन्हें घबराहट होने लगती है। पहले हो चुके कई शोधों के अनुसार 10 से 30 फीसदी बच्चे और युवा अपने स्मार्टफोन को बेहद खराब तरीके से इस्तेमाल करते हैं। यह खुलासा हुआ है एक ताजा शोध में।
यूके के किंग्स कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार 23 फीसदी युवाओं में प्रॉब्लेमेटिक स्मार्टफोन यूजेस (पीएसयू) की समस्या देखने को मिल रही है।पीएसयू स्मार्टफोन से जुड़ा एक ऐसा व्यवहार है जिससे लत लगने के संकेत दिखाई देते हैं। इनमें फोन आस-पास न होने पर घबराहट और बेचैनी महसूस करना और परेशान हो जाना शामिल है। इस समस्या से ग्रस्त लोग अपने फोन को प्रयोग करने के समय पर नियंत्रण नहीं रख पाते। ऐसे लोग फोन का इस्तेमाल ज्यादातर मनोरंजक गतिविधियों के लिए करते हैं।
लड़कियों में पीएसयू होने की संभावना ज्यादा : जर्नल बीएमसी साइकाइट्री में प्रकाशित इस शोध में पहली बार बच्चों और युवाओं में पीएसयू के लक्षणों की जांच की गई है। इस शोध में पूर्व के 41 शोधों का विश्लेषण किया गया है और 41,871 बच्चों और युवाओं के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। 41 में से 30 शोध एशिया में, नौ यूरोप में और दो शोध अमेरिका में किए गए हैं। इसमें 55 फीसदी प्रतिभागी महिलाएं थीं। शोध में पाया गया कि 17 से 19 वर्ष की उम्र वाली लड़कियों में पीएसयू होने की संभावनाएं ज्यादा थीं।
शोधकर्ताओं ने इस तरीके से स्मार्टफोन प्रयोग करने और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंधों की भी जांच की। इस दौरान पाया गया कि जिन लोगों को पीएसयू की समस्या थी उनमें खराब मूड, घबराहट, चिड़चिड़ापन, खराब नींद और शैक्षणिक स्तर पर प्रदर्शन में कमी देखी गई। शोधकर्ता बेन कार्टर ने कहा, हमारे शोध से पता चलता है कि स्मार्टफोन के अत्यधिक और गलत तरीके से इस्तेमाल किए जाने के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
इस समस्या से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास करने की कोशिशें जारी हैं। शोधकर्ता समांथा सोन ने कहा, पीएसयू एक व्यावहारिक लत है या नहीं इसके लिए पीएसयू और उससे स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभावों की जांच करना जरूरी है। साथ ही यह सूबत भी जुटाने पड़ेंगे कि पीएसयू से जूझने वाले लोग अपने स्मार्टफोन के इस्तेमाल को कम करने के लिए काफी संघर्ष करते हैं।