लंदन। कोरोना वायरस के संक्रमण में गंध और स्वाद लेने की क्षमता का कम होना सबसे विश्वसनीय लक्षण माने गए हैं। संक्रमित व्यक्ति की दोनों क्षमताएं धीरे-धीरे करके खत्म हो जाती हैं। ये दोनों लक्षण पूरी दुनिया में संक्रमितों में पाए गए हैं। यह जानकारी ब्रिटेन में वैज्ञानिकों के शोध से निकलकर आई है।
लंदन के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के आंकड़ों का अध्ययन करने पर पता चला कि कोविड 19 ग्रस्त 78 प्रतिशत मरीजों की सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता पूरी तरह या काफी हद तक खत्म हो गई थी। इनमें से 40 प्रतिशत को बुखार नहीं था और खांसी-जुकाम वाले लक्षण भी नहीं थे। ये आंकड़े 23 अप्रैल से 14 मई के मध्य के हैं, जब लंदन में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से हो रहा था। लक्षणों को लेकर पहली बार किसी देश में ऐसा अध्ययन हुआ है। इससे कोविड के इलाज में मदद मिलने की संभावना है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर रचेल बैटरहम के अनुसार अब जबकि ब्रिटेन कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है, तब हमें इस निष्कर्ष से इलाज में काफी मदद मिलने की संभावना है। इन दो लक्षणों का पता चलते ही लोग खुद ही एकांतवास में जाने लगेंगे और अपना कोरोना परीक्षण कराने लगेंगे। इससे संक्रमण फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। लोग बुखार आने, खांसी-जुकाम होने और उसके बिगड़ने का इंतजार नहीं करेंगे। गंध और स्वाद संबंधी लक्षणों को प्रमुखता देने से दुनिया भर में कोरोना का संक्रमण नियंत्रित किया जा सकेगा। इस बात को दुनिया भर में प्रचारित करने की जरूरत है।
डॉ. बैटरहम के अनुसार अभी तक दुनिया के कुछ ही देशों ने इन लक्षणों को प्रमुखता दी है। ज्यादातर देशों में बुखार और सांस लेने में कठिनाई को कोरोना का लक्षण माना जा रहा है। लेकिन अब मान्यता को बदले जाने की जरूरत है। इस शुरुआती लक्षण से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सकेगा।