जकार्ता। इंडोनेशिया सरकार की ओर से कहा गया है कि वह अपने उन लगभग 700 नागरिकों को वापस नहीं लेगा, जो इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन के साथ जुड़े हुए हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि छोटे बच्चों को वापस बुलाने पर वह सोच सकते हैं। इस मुद्दे ने दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल राष्ट्र को विभाजित कर दिया है।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का कहना है कि वह उन संदिग्ध आतंकवादियों और उनके परिवारों को वापस बुलाने के पक्ष में नहीं हैं, जो सीरिया और अन्य देशों में गए थे।

वहीं, सुरक्षा मामलों के मंत्री महमूद एमडी ने कहा है कि सीरिया में मौजूद 680 इंडोनेशियाई ,जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं उन्हें सुरक्षा कारणों और आईएस समूह द्वारा बार-बार किए जाने वाले हमलों के कारण स्वेदश लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

उन्होंने जकार्ता के पास राष्ट्रपति जोको विडोडो से मुलाकात के बाद बताया कि उन्होंने निर्णय लिया है कि सरकार 267 मिलियन इंडोनेशियाई नागरिकों की सुरक्षा को लेकर वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि अगर ये लोग वापस आते हैं तो वे यहां के लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। हालांकि, सरकार 10 साल के या उससे कम उम्र के बच्चों को वापस लाने के बारे में सोच सकती है।

उधर, इस फैसले के आलोचकों का कहना है कि कट्टरपंथी बनने पर मजबूर करने की बजाय इन लोगों को स्वदेश वापस लाना ज्यादा अच्छा है। आंतकवादी आलोचक तौफिक एंड्री का कहना है कि अगर सरकार इस मुद्दे का सही तरीके से हल नहीं निकालती है तो इस बात की संभावना ज्यादा है कि कुछ शक्तिशाली समूहों द्वारा ये लोग गैरकानूनी कामों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किए जाएं, जो इंडोनेशिया और अन्य देशों के लिए अच्छा नहीं होगा। इंडोनेशिया लंबे समय से इस्लामी उग्रवाद से जूझ रहा है।

साल 2018 में देश के बड़े शहर सुरबाया के कई गिरजाघरों में आईएस से जुड़े आत्मघाती हमलावरों ने हमला किया था, जिनमें दर्जनों लोग मारे गए थे।

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