साष्टांग प्रणाम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से हमारे लिए बहुत अधिक लाभकारी है। साथ ही यह मुद्रा हमें इस बात की अनुभूति भी कराती है कि सब कुछ उस ईश्वर का है और उसी को समर्पित है।
सनातन धर्म में जब भी किसी के सामने दंडवत प्रणाम किया जाता है तो इसका अर्थ होता है कि आपने अपना सर्वस्व उसे अर्पित कर दिया है। आप जो भी कार्य करेंगे, उसी की आज्ञा के अनुसार करेंगे…आमतौर पर इस साष्टांग की मुद्रा में प्रणाम किसी मंदिर और तीर्थस्थल पर किया जाता है। अपने गुरुजनों के चरणों में भी इस प्रकार लेटकर साष्टांग करने की हमारी परंपरा रही है।
जो लोग शारीरिक तौर पर ऐक्टिव रहते हैं, उन्हें इस तरह की मुद्रा करने में किसी तरह की समस्या नहीं होती है। लेकिन पीएम मोदी 69 वर्ष के हो चुके हैं और इस उम्र में साष्टांग की मुद्रा लगाना इसलिए थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इस उम्र तक आने में हमारे शरीर की मांसपेशियों की लचक कम हो जाती है। लेकिन मोदी बहुत ही सहजता के साथ इस मुद्रा को इसलिए कर पाते हैं क्योंकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वयं को हर समय सक्रिय रखने का प्रयत्न करते रहते हैं।
दिल्ली के विवेक विहार स्थित ‘गौतम स्कूल ऑफ योगा’ के योग ट्रेनर और हेल्थ कोच हरेंद्र गौतम का कहना है कि सनातन धर्म में पूजा पद्धति के समय अपनाई जानेवाली इस साष्टांग मुद्रा को सूर्य नमस्कार आसन की अष्टांग मुद्रा से लिया गया है। सर्वस्व समर्पण करने के मनोभाव के साथ किए जाने वाले इस प्रणाम को साष्टांग कहा जाता है।
हरेंद्र गौतम कहते हैं कि साष्टांग नमस्कार करते समय हमारे शरीर के 8 अंग पृथ्वी का स्पर्श करते हैं। इस स्थिति में हमारा मन शांत होता है और हम पृथ्वी की सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर पाते हैं।
साथ ही इस मुद्रा से तनाव कम करने में दो प्रकार से सहायता मिलती है। पहली बात तो यह कि जब हम अपना सबकुछ ईश्वर को समर्पित करने के भाव से यह मुद्रा अपनाते हैं तो सांसारिक कष्टों से मुक्ति का भाव आता है और हमारा मानसिक तनाव कम होता है। दूसरी बात यह कि साष्टांग मुद्रा में लेटने पर शारीरिक तनाव दूर करने में भी सहायता मिलती है। साष्टांग मुद्रा करते समय पेट पर आवश्यक दबाव बनता है और पेट की मसल्स खिंचती हैं। इससे मेटाबॉलिज़म ठीक करता है। हरेंद्र गौतम के अनुसार जो लोग नियमित रूप से साष्टांग मुद्रा करते हैं, उन्हें अपनी शुगर को संतुलित रखने में सहायता मिलती है।
इस मुद्रा को करते समय हमारे अंदर धैर्य और ठहराव विकसित होता है, जो हमें मानसिक बीमारियों से बचाए रखने में लाभकारी है। जो लोग सीटिंग जॉब में होते हैं, उन्हें अक्सर अपनी रीढ़ की हड्डी में खिंचाव या जकड़न का अहसास होता है। यदि ऐसे लोग नियमित रूप से साष्टांग प्रणाम की मुद्रा करें तो इनकी स्पाइन की दिक्कतें दूर हो सकती हैं।
साष्टांग मुद्रा के सूक्ष्म लाभ
इस मुद्रा को करते समय हमारे शरीर के 8 अंग धरती को छूते हैं। इनमें हमारा माथा (फोरहेड), हाथ, कंधे, नाक, सीना (चेस्ट), पेट, घुटने और पैर के अंगूठे सम्मिलित हैं। जब ये अंग पृथ्वी का एक साथ स्पर्श करते हैं तो हमें सूक्ष्म रूप में पृथ्वी की सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।