बेगूसराय। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने बेगूसराय के दो दिवसीय दौरे पर आए राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा को विभिन्न मुद्दे को लेकर तीन ज्ञापन सौंपा है।

ज्ञापन में बेगूसराय में विश्वविद्यालय की स्थापना, जीडी कॉलेज के पावर हाउस स्थित ओल्ड हॉस्टल की भूमि पर उप केंद्र का निर्माण तथा बेगूसराय से दरभंगा एवं पटना के लिए कार्यालय के समय में डीएमयू पैसेंजर ट्रेन चलाने की मांग की गई है।

कार्यकर्ताओं ने राज्यसभा सदस्य को कॉलेज की संख्या, विश्वविद्यालय परिसर से उसकी दूरी एवं वहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या के ग्राफ के माध्यम से बताया कि बेगूसराय में विश्वविद्यालय या उप केंद्र की स्थापना से बेगूसराय जिले के छात्र-छात्राओं को नगण्य दूरी तय करनी पड़ेगी। वहीं, समस्तीपुर जिले के छात्र-छात्राओं को 120 किलोमीटर की जगह मात्र 60 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी।

विद्यार्थी परिषद के उपयुक्त मांग पर राकेश सिन्हा ने मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति से बात कर जून में प्रतिनिधिमंडल बनाकर मिलने की बात कही। जून में राकेश सिन्हा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल कुलपति से मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने का कार्य करेगा।

राकेश सिन्हा ने कहा है कि बेगूसराय के जन सरोकार से वास्ता रखने वाले लोगों को सोचना चाहिए था कि जिले के विभिन्न महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्रा यदि अपने परिसर में एक साथ खड़ा हो जाएं तो खड़े होने की जगह भी महाविद्यालय परिसर में नहीं है। इतने बड़े मुद्दे पर स्थानीय राजनेताओं की चुप्पी छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक हत्या के समान है। प्रधानमंत्री को पत्र लिखूंगा कि बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति कितनी भयावह है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल जिला संयोजक सोनू सरकार एवं नगर मंत्री पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि राज्यसभा सदस्य की ओर से यह बात उभर कर सामने आया कि उन्हें यहां के छात्र-छात्राओं की विशेष चिंता है। केवल बेगूसराय जिले में उच्चतर शिक्षा संस्थानों में पांच अंगीभूत, तीन संबद्ध एवं चार बीएड कॉलेजों में मिथिला विश्वविद्यालय से संबद्ध छात्र-छात्राओं की संख्या 50 हजार के आसपास है। देश के कई राज्यों में इतने छात्र-छात्राओं पर दो से तीन विश्वविद्यालय बने हुए हैं।

प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अविगत कुमार एवं आदित्य राज ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी की ओर अमूमन स्थानीय नेताओं का ध्यान नहीं जाता है, क्योंकि वे अधिकांश राजनीतिक बैकग्राउंड से आते हैं तथा उनकी मनसा भी महाविद्यालयों के बेहतरी की ओर कम रहती है। महाविद्यालयों में शैक्षणिक माहौल कायम हो, इसके लिए राज्यसभा सांसद ने प्रत्येक वर्ष लिटरेचर फेस्टिवल आयोजित करने की बात कही है। इस कार्यक्रम के आयोजन से छात्र-छात्राओं में साहित्य एवं कला संस्कृति के प्रति अभिरुचि जागेगी एवं हम अपने भरे पूरे विरासत को जीवंत बनाए रख सकेंगे।

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