हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल में 4 बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि को मुख्य रूप से मनाया जाता है| इस वर्ष की चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू होकर 21 अप्रैल तक मनाई जाएगी| नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और नौ दिन तक चलने वाले इस पावन पर्व में श्रद्धालु मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना कर भोग लगाते हैं|

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्व होता है क्योंकि इस दिन घटस्थापना की जाती है|  बता दे की घटस्थापना यानी कलश स्थापना का एक विशेष महत्व है| पोराणिक कथाओं के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है| इसलिए नवरात्रि के दिन देवी दुर्गा की पूजा से पहले कलश की स्थापना की जाती है|

 

क्या है शुभ मुहूर्त

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश की स्थापना की जाती है|
इस बार प्रतिपदा तिथि का प्रारम्भ- 12 अप्रैल सुबह 08:00 बजे, और
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 13 अप्रैल सुबह 10:16 बजे तक का है|
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त- 13 अप्रैल सुबह 05:58 बजे से 10:14 बजे तक की है|

कलश स्थापना विधि
कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहने और मंदिर की साफ-सफाई कर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं| इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें, एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें|

इसके बाद कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें और फिर  कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें| फिर एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें, इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें| तत्पश्चात दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें| याद रखे की नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश ही स्थापित करे|

 

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