नई दिल्ली। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस महीने में भगवान शिव की पूजा-आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन के सभी संकट समाप्त होते हैं. इस बार सावन का महीना 25 जुलाई से शुरू हुआ है और 22 अगस्त को समाप्त होगा.

कब शुरू होगा पंचक?
हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 जुलाई दिन रविवार से सावन का पावन महीना शुरू हो गया है. इस दौरान कई शुभ योग भी बने हैं. इसके अलावा, सावन की शुरुआत के साथ ही इस दिन पंचक काल भी शुरू हो गया है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, पंचक की शुरुआत 25 जुलाई दिन रविवार को रात 10 बजकर 48 मिनट से हो चुकी है और 30 जुलाई 2021, दिन शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर 3 मिनट पर इसका समापन होगा.

क्या है पंचक?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पांच नक्षत्रों का संयोग पंचक कहलाता है. ज्योतिष में इस संयोग को शुभ नहीं माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को 27 नक्षत्रों में बांट दिया गया है. इन 27 नक्षत्रों में अंत के 5 नक्षत्र यानी धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों को पंचक कहते हैं. ज्योतिष के अनुसार, जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि में भ्रमण करते हैं, तब इसे पंचक काल कहा जाता है.

पंचक काल में ना करें ये काम:
पंचक काल के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने की मनाही होती है. माना जाता है कि इस दौरान लकड़ी एकत्र करना या लकड़ी का सामान जैसे बेड या चारपाई आदि खरीदना अशुभ होता है. इसके अलावा, मकान पर छत डलवाना, दाह संस्कार करना और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना भी अशुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि रविवार के दिन शुरू होने वाले पंचक को रोग पंचक कहते हैं. इस दौरान स्वास्थ्य का ख्याल रखना बेहद अनिवार्य होता है. रोग पंचक के दौरान कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

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