News Samvad : माहौल और जीवनशैली बच्चों को समय से पहले बड़ा कर रहे हैं। यह वह समय है जब लड़कियों में शारीरिक व हॉर्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं और वो वयस्कता की ओर बढ़ने लगती हैं यानी पीरियड्स की शुरुआत होती है। पीरियड्स पहले लड़कियों में 15-16 साल की उम्र में शुरू हो जाती थी। फिर यह आयु घटकर 12-13 हो गई, लेकिन अब यह 7 से 9 साल में भी पीरियड्स शुरू हो रही है, जो चिन्ता का विषय है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कम से कम 1.3 करोड़ बच्चे जल्दी यौवन अवस्था का अनुभव कर रहे हैं। इसमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। यहां मुख्यत: लड़कियों की बात कर रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें ज़्यादा परेशानी होती है।

लेकिन यह परिवर्तन हो कैसे रहा है?

बच्चों के खानपान और जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया है। जंक फूड, ज़्यादा कैलोरी और मोटापा जल्दी यौवन अवस्था का एक बड़ा कारण है, शरीर में अतिरिक्त वसा हॉर्मोन का उत्पादन कर सकती है जो जल्दी विकास को उकसाता है।

  • यदि परिवार में किसी को जल्दी प्यूबर्टी हुई हो, तो इसका असर भी अगली पीढ़ी पर पड़ सकता है।
  • तनाव एक मुख्य कारण, जैसे- पारिवारिक विवाद, दुर्व्यवहार, उपेक्षा आदि जल्दी यौवन अवस्था की शुरुआत कर सकता है।
    माता-पिता की गैरहाजिरी या विफल पारिवारिक वातावरण का असर लड़कियों में दिख सकता है।
  • वयस्क कंटेंट बच्चे सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, उसका उनके मस्तिष्क पर, विशेषकर पिट्यूटरी ग्रंथि पर असर पड़ता है। जब यह ग्रंथि उत्तेजित होती है, तो यह हॉर्मोन का स्राव करती है, जो बाद में शरीर में शारीरिक बदलावों को उत्प्रेरित करता है। यह पूरी प्रक्रिया बच्चों में जल्दी प्यूबर्टी के आगमन को प्रेरित करती है।
  • दोस्तों के व्यवहार से भी लड़कियां मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो सकती हैं, जिससे शारीरिक विकास जल्दी हो सकता है।
    हर प्रकार के मानसिक तनाव भी इसकी वजह बन सकते हैं।

इन बदलावों से हो सकती है मुश्किलें

यौवन अवस्था जल्दी आने से लड़कियों में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं है कि ये सभी में समान रूप से हों। जल्दी यौवन अवस्था मोटापा, मधुमेह और हॉर्मोनल बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकती है। उनका क़द सामान्य से छोटा रह सकता है, क्योंकि उनकी हड्डियों की वद्धि जल्दी रुक जाती है।

मानसिक रूप से परेशान करता है उनका ये बदलाव-छोटी बच्चियों के लिए शारीरिक बदलावों को समझना कठिन हो सकता है उन्हे अनेक प्रकार की उलझन व चिंता हो सकती है।

यौवन अवस्था की शुरुआत होने से पहले और बाद में बेटी को डॉक्टर से मिलवाएं व सब कुछ समझाएं।

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