Ranchi : सस्ता राशन, नौकरी और किसी भी शोरूम से सस्ती से लेकर महंगी गाड़ी को आधे दाम में दिला देने की बड़ी बात बोलकर करीब करोड़ों रुपये दीपक कुमार श्रीवास्तव गटक गया। ऐसा नहीं है कि उसने यह काम नहीं किया। शुरू में सस्ता राशन भी लोगों को देता रहा। इसमें रांची के दो लोग भयंकर रूप से फंसे। लालपुर के एक होटल मालिक सस्ता राशन लेने के चक्कर में करीब डेढ़ करोड़ रुपये गवां बैठे। एक ट्रक कोलगेट और एक ट्रक सिलाई मशीन सहित अन्य कई चीजें हासिल कर चुका था होटल मालिक। लालच में पड़कर कई ट्रक सामान का ऑर्डर कर दिया और डेढ़ करोड़ रुपये गवां बैठा। कुछ ऐसा ही मेन रोड के व्यवसायी सुरेंद्र सिंह उर्फ रामा के साथ हुआ। शुरु में रामा को भी कुछ माल सस्ते में उपलब्ध कराया गया। फिर मन चाहा माल दिलाने के नाम पर 28 लाख रुपये लेकर उन्हें चेहरा दिखाना भूल गया।
वहीं, राजधानी रांची से सटे तमाड़ में रहने वाली चांदनी और उसकी मां मंजू देवी को नौकरी और गाड़ी दिलाने के नाम पर 40 लाख रुपये ठग लिये। मेसरा ओपी क्षेत्र के रहने वाले राजकुमार महतो से 80 हजार और ओरमांझी में रहने वाले अनूप कुमार कुशवाहा से 11 लाख ठग लिये। इन दोनों को सस्ता राशन और शोरूम से गाड़ी दिलाने के नाम पर धूर बनाया गया था। बड़ा ठग दीपक कुमार श्रीवास्तव पहले कोडरमा में वन विभाग में काम करता था। उसे अनुकम्पा के आधार पर नौकरी मिली थी। उसके पिता चकरेश्वर कुमार श्रीवास्तव रेंजर थे और झुमरीतिलैया में रहते थे। दीपक ने नौकरी में रहते हुए भी कई लोगों को चूना लगाया। खुद को बड़ा सरकारी अधिकारी बताकर नौकरी बांटने की कहानी गढ़ कर करोड़ों रुपये की काली कमाई की। उसके इस दो नंबरी हरकत में उसकी बहन और बहनोई ने साथ दिया। कई बार पैसे उसने अपनी बहन के अकाउंट में मंगाये। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह उसकी बहन है या कोई और।
लोक लाज और पुलिस के लफड़े में पड़ने से बचने की खातिर लोग ठगाते थे करोड़ों और प्राथमिकी दर्ज कराते थे लाखों में। इस बात का खुलासा आज खुद रांची से सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने किया। बड़का ठग दीपक को धराने के वास्ते चांदनी और उसकी मां मंजू देवी पड़ी रही। उसका लोकेशन धनबाद में मिला था। हरकत में आई रांची पुलिस ने दीपक को दबोच लिया। उसके पास से ठगी के एक लाख 74 हजार 500 रुपये पुलिस को मिले। हालांकि दीपक को पकड़वाने वाले का दावा कुछ और है। दीपक रांची में एक स्कूटी से घूमा करता था। स्कूटी के मालिक एक रिटायर्ड फौजी दयानंद प्रसाद उसे क्लाइंट लाकर देता था। रांची से सदर थाना क्षेत्र के गाड़ी होटवार बस्ती में भाड़े पर मकान भी दिलवाया था।
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