दुनिया भर में तेजी से कोरोना की दवाओं की खोज हो रही है. अब एक नई रिपोर्ट की मानें तो स्‍टेरॉयड भी इस महामारी में लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर सकता है. WHO का कहना है कि कोरोना के गंभीर मरीजों को स्‍टेरॉयड दिया जा सकता है. जून के महीने में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से कई अस्पतालों में रिकवरी ट्रायल चलाया गया था. इस ट्रायल में पाया गया था कि कोरोना से हर 8 में से एक गंभीर व्यक्ति की जान डेक्सामेथासोन नामक स्टेरॉयड से बचाई गई थी.

इन ट्रायल के अलावा, छह अन्य ट्रायल के नतीजों भी सामने आए हैं जिससे पता चलता है कि हाइड्रोकार्टिसोन नाम के एक अन्य स्‍टेरॉयड की भी जान बचाने में अहम भूमिका है. हाइड्रोकार्टिसोन सस्ता होने के साथ ही आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है. अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में सात ट्रायल के नतीजे प्रकाशित हुए हैं. इसमें कहा गया है कि ये दोनों दवाएं गंभीर रूप से बीमार लोगों में मौत का खतरा 20 फीसदी तक कम करती हैं.

स्टडी के लेखक और इंग्लैंड के ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के महामारी विज्ञान के प्रोफेसर जोनाथन स्टर्न ने कहा, ‘स्टेरॉयड एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवा है और हमारे विश्लेषण में इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना के गंभीर मामलों में ये दवाएं मरीजों को मरने से बचाती हैं. ये दवाएं हर उम्र और हर वर्ग के लोगों पर काम करती हैं.’

ये रिकवरी ट्रायल ब्राजील, फ्रांस समेत कई देश के लोगों पर किया गया है. प्रोफेसर जोनाथन स्टर्न ने कहा, ‘इन सभी ट्रायल के नतीजों से एक ही बात सामने आती है कि हाइड्रोकार्टिसोन भी डेक्सामेथासोन स्टेरॉयड की ही तरह मरीजों पर कारगर है.’ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रिकवरी ट्रायल के डिप्टी चीफ इंवेस्टीगेटर मार्टिन लैंडरे का कहना है कि जब मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है तो वेंटिलेटर का इंतजार किए बिना उसे स्टेरॉयड दिया जा सकता है.

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