नई दिल्ली। आजादी के इतने साल बाद देश में कई परिवर्तन आए, लेकिन पुरानी परंपराओं ने आज भी युवा दिलों पर पहरा लगा रखा है. यदि ये पहरा कोई तोड़ भी दे, तो उसे समाज के ठेकेदार सजा सुनाते हैं. ऐसा ही मामला सामने आया है, राजस्थान के बाड़मेर जिले में, जहां दो युवा दिल शादी के बंधन में बंधे, तो पंचों ने इनके परिवारों को समाज से बहिष्कृत करने का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं इस विवाह में मदद करने वाले चचेरे भाई के परिवार को भी सजा सुनाई गई है.

मामला बाड़मेर जिले के सिवाना थाने के मायलावास से सामने आया है, जिसमें दो परिवारों को समाज में बहिष्कृत कर दिया गया है. इन परिवारों पर आरोप है कि चचेरे भाई की पुत्री का प्रेम विवाह करवाने में मदद की थी. समाज के पंचों ने दोनों परिवारों पर 34 लाख रुपए का जुर्माना ठोंका है, इसके साथ ही 12 साल के लिए समाज से बहिष्कृत कर दिया है.

सिवाना थाना इलाके की लूदराडा गांव के रहने वाले अंगार सिंह, फ़ौज सिंह ने सिवाना थाने में मामला दर्ज करवाया है कि जातीय पंचों ने मिलकर उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया है, इतना ही नहीं हुक्का पानी बंद करने का आदेश जारी कर दिया है. इन लोगों पर आरोप है कि एक साल पहले उनके चचेरे भाई की पुत्री ने सिवाना के प्रेम सिंह पुरोहित के साथ प्रेम विवाह कर लिया था, उसमें इन परिवारों ने खुलकर मदद की.

पीड़ित अंगार सिंह के अनुसार पिछले लंबे समय से कुछ लोग उन्हें सामाजिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे थे और आखिर में जुलाई के महीने में पंचायत बुलाकर पहले तो 51-51 हजार रुपए लिए और उसके बाद सीधे तौर पर आरोप लगा दिया कि प्रेम विवाह में मदद की है.

पीड़ित फ़ौज सिंह के अनुसार जबरन पंचायत में खड़ा करके अपमानित किया गया और यह फैसला सुनाया गया कि 12- 12 सालों के लिए दोनों परिवारों को समाज से बहिष्कृत किया जाता है. साथ ही 17-17 लाख का जुर्माना देना होगा. इस पूरे मामले में दोनों पीड़ितों ने कोर्ट की शरण ली, जिसके बाद सिवाना थाने में मामला दर्ज हो सका. अब पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है.

इन पर पंचायत करने का आरोप

थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार माधव सिंह, भंवर सिंह, भगत सिंह, राम सिंह, पूनम सिंह, शैतान सिंह और प्रेम सिंह ने मिलकर खाप पंचायत का आयोजन किया और इन्ही पंचों ने यह तुगलकी फरमान जारी किया. साथ ही समाज और गांव के लोगों को दो टूक शब्दों में कह दिया कि अगर कोई भी इन परिवारों से रिश्ता रखेगा तो उसे दो लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा. पीड़ितों का आरोप है कि इस फरमान के बाद से उन्हें अब गांव में कोई बुलाता नहीं है

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