नई दिल्ली। अब से लेकर अगले 24 घंटे में सूरज से निकली एक गर्म और तेज तूफान की लहर धरती को हिट कर सकती है. इसकी वजह से जीपीएस सिस्टम, सेलफोन नेटवर्क और सैटेलाइट टीवी पर असर पड़ सकता है. ये बाधित हो सकते हैं. धरती के ऊत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर नॉर्दन और सदर्न लाइट्स की मात्रा और फ्रीक्वेंसी बढ़ सकती है. 3 जुलाई को सूरज के दक्षिणी हिस्से में एक बड़ा विस्फोट देखा गया. जिसकी वजह से सोलर फ्लेयर्स यानी सौर किरणें तेजी से धरती की ओर बढ़ रही हैं. ये 12 जुलाई से लेकर अगले 24 घंटे तक किसी भी समय धरती पर कुछ मिनटों के लिए परेशानी खड़ी कर सकती हैं.
Spaceweather.com के अनुसार सूरज की तरफ आने वाले इस तूफान से धरती के मैग्नेटिक फील्ड पर असर पड़ सकता है. जो लोग उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव के आसपास रहते हैं, उन्हें रात में आसमान में खूबसूरत अरोरा (Auroa) देखने को मिल सकता है. लेकिन यह खूबसूरती कई तरह की दिक्कतें भी लेकर आ रही है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के मुताबिक यह सौर तूफान (Solar Storm) धरती की तरफ 16 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आ रहा है. जो कि कुछ समय में और ज्यादा तेज हो जाएगा. जैसे ही यह तूफान धरती के चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करेगा, इसकी वजह से सैटेलाइट सिग्नल बाधित होंगे. जिससे जीपीएस, टीवी, मोबाइल नेटवर्क में दिक्कत आ सकती है.
Spaceweather.com के मुताबिक सौर तूफान की वजह से धरती का बाहरी वायुमंडल गर्म हो सकता है, जिसका सीधा असर अलग-अलग देशों द्वारा भेजे गए सैटेलाइट्स पर पड़ेगा. इसकी वजह से जीपीएस के सहारे चलने वाले विमानों, जहाजों, मोबाइल फोन्स, सैटेलाइट टीव आदि कार्य बाधित होंगे. ये भी हो सकता है कि कुछ देशों में बिजली की सप्लाई बाधित हो जाए.
सौर तूफान की वजह से धरती के ऊपर एक नए तरह का तूफान पैदा होगा. इसे जियोमैग्नेटिक तूफान (Geomagnetic Storm) कहते हैं. जब सूरज से आने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स धरती की चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तब जियोमैग्नेटिक तूफान आता है. इसकी वजह से धरती के चुंबकीय क्षेत्र में कुछ देर के लिए बाधा उत्पन्न होती है. जिससे लैटीट्यूट और लॉन्गीट्यूड समझने में दिक्कत होती है. इससे जीपीएस काम करना बंद कर देता है.
3 जुलाई को जब यह सौर तूफान सूरज से शुरु हुआ तब भी अमेरिका के कुछ हिस्सों में हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन में बाधा आई थी. लेकिन यह कुछ सेकेंड्स के लिए ही थी. क्योंकि सूरज से आई लहर की वजह से एक्स-रे में बदलाव हुआ और उनकी वजह से रेडियो सिग्नल बाधित हो गए.
धरती पर सौर तूफान का सबसे भयावह असर मार्च 1989 में देखने को मिला था. तब आए सौर तूफान की वजह से कनाडा के हाइड्रो-क्यूबेक इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन सिस्टम 9 घंटे के लिए ब्लैक आउट हो गया था. इसके बाद 1991 में सौर तूफान की वजह से लगभग आधे अमेरिका में बिजली गुल हो गई थी. लेकिन यह सबसे बड़े तूफान नहीं थे.
कहते ये सब सौर तूफान उतने भयावह नहीं थे, जितना कि 1-2 सिंतबर 1859 में आया सौर तूफान था. इसे कैरिंग्टन इवेंट कहते हैं. उस समय इतना बिजली, सैटेलाइट, स्मार्टफोन आदि नहीं था. लेकिन वह जिस तीव्रता का तूफान था, अगर वह इस समय आता तो भारी तबाही मच जाती. कई देशों में पावर ग्रिड बंद हो जाते. सैटेलाइट काम नहीं करते. जीपीएस प्रणाली बाधित होती. मोबाइल नेटवर्क गायब हो जाता. रेडियो कम्युनिकेशन खराब हो जाता.