नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लालच, धोखे या दबाव से होने वाले धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि यह एक गंभीर विषय है और इस तरह का कानून जरूरी है। केंद्र सरकार ने हलफनामा में कहा है कि नौ राज्यों ने ऐसा कानून बनाया है। इन राज्यों में ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा शामिल हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि याचिका में उठाई गई मांगों को ध्यान में रखते जरूरी कदम उठाया जायेगा। कोर्ट ने 23 सितंबर को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर याचिका में ईसाई बनने का दबाव बनाए जाने के चलते आत्महत्या करने वाली तमिलनाडु की लावण्या मामला समेत दूसरी घटनाओं का हवाला दिया था। याचिका में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में निचले तबके के लोगों खासकर अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोगों के धर्मांतरण में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। धर्मांतरण के लिए हमेशा ही आर्थिक रूप से कमजोर तबके को टारगेट किया जाता है। याचिका में कहा गया है कि यह अपने धर्म के प्रचार-प्रसार के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिका में कहा गया है कि भारत में सदियों से धर्मांतरण जारी है। इसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है। याचिका में कहा गया है कि विदेशी चंदे पर चलने वाले एनजीओ को धर्मांतरण के लिए मासिक टारगेट दिया जाता है। याचिका में कहा गया है अगर सरकार इसके खिलाफ कदम नहीं उठाती है तो देश में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।
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