नई दिल्ली। रेलवे ग्रुप-डी भर्ती के आवेदन को तकनीकी आधार पर रद्द किए जाने के खिलाफ सोमवार को अभ्यार्थियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि रेलवे ने तस्वीर अथवा हस्ताक्षर के नाम पर पांच लाख से अधिक आवेदनों को रद्द कर उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया। उन्होंने रेलवे से आवेदन स्वीकार करने अथवा मोडिफिकेशन लिंक जारी करने की मांग की है।

योगेंद्र यादव की पार्टी स्वराज इंडिया से जुड़े ‘युवा-हल्लाबोल’ के बैनर तले आयोजित प्रदर्शन को संबोधित करते हुए युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने अभ्यार्थियों की मांगों का समर्थन किया। उन्होंने अभ्यार्थियों को उनका अधिकार दिलवाने के लिए हरसंभव प्रयास का भरोसा दिया।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी-2019 में रेलवे ग्रुप-डी के एक लाख 28 हजार पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसमें कुल 1,15,67,284 छात्रों ने आवेदन किया है। इनमें से 5,48,829 अभ्यर्थियों के आवेदन ये कहते हुए रद्द कर दिए गए कि आवेदकों की तस्वीर सही नहीं है। जबकि रेलवे की ही आरआरबी जूनियर इंजीनियर परीक्षा में उन्हीं तस्वीरों के आधार पर आवेदन स्वीकार किए गए। यहां तक कि आरपीएफ और एसएससी की परीक्षा में भी अभ्यर्थियों की इन्हीं तस्वीरों को स्वीकार किया गया लेकिन आज न ही आवेदन स्वीकार किया जा रहा, न ही सुधार करने के लिए मोडिफिकेशन लिंक दिया जा रहा।

रेलवे अभ्यर्थी गौतम मवाहने ने कहा कि हम और हमारे परिवार के साथ ये बड़ा अन्याय है कि सालों साल रेलवे भर्ती की तैयारी करने के बाद सरकार हमें इस तरह अवसर से वंचित कर रही है। इन्हीं फोटो से हमने बाकी कई परीक्षाओं में आवेदन किया था। यहां तक कि रेलवे की ही जूनियर इंजीनियर और आरपीएफ के लिए इसी तस्वीर को भेजा लेकिन ग्रुप डी की परीक्षा में ही क्यों हमें भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।

युवा-हल्लाबोल के रजत ने बताया कि सभी छात्रों से रेलवे ने 500 रुपये आवेदन शुल्क लिया है, जिसमें से 400 रुपये उन अभ्यर्थियों को वापस कर दिया जाएगा जो परीक्षा में बैठ पाएंगे यानी कि पांच लाख से ज्यादा बेरोजगारों को अवसर से वंचित करके यह सरकार करोड़ों रुपये इकट्ठा कर लेगी। छात्रों की नौकरी और उज्ज्वल भविष्य का सपना तोड़ने वाली रेलवे और यह सरकार घोर अन्याय कर रही है।

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