नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों की फांसी का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश की याचिका को खारिज कर दी है। चारों दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी होनी है।
सुनवाई के दौरान मुकेश की ओर से वकील मनोहर लाल शर्मा ने वकील वृंदा ग्रोवर पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुकेश को धमकी देकर क्युरेटिव याचिका दायर करवाई। इस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी अशोक अरोड़ा ने आपत्ति जताते हुए कोर्ट से कहा कि देखिए वे क्या कह रहे हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वकालतनामा दाखिल किया गया था और कोर्ट ने इसके मेरिट पर विचार किया। ये सुनवाई इन चैंबर हुई थी और इसमें वकील की कोई भूमिका नहीं थी।
मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि पूरी कार्यवाही ही फर्जीवाड़ा था। वृंदा ग्रोवर ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के बारे में नहीं बताया। एमिकस क्यूरी को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए। शर्मा ने कहा कि अगर दोषी ने ढाई साल के बाद क्युरेटिव पिटीशन दाखिल की है तो क्या कोर्ट ने उस पर दबाव बनाया। ग्रोवर ने मुकेश से कहा कि अगर आप क्युरेटिव याचिका दायर नहीं करोगे तो फांसी पर चढ़ा दिए जाओगे। तब जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि तब क्या किया जाना चाहिए जब डेथ वारंट जारी कर दिया गया हो। तब शर्मा ने कहा कि जब तक सारे विकल्प खत्म नहीं हों तब तक फांसी पर नहीं लटकाना चाहिए। इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि क्या आपके पास कोई विकल्प बचा है। दया याचिका भी तो खारिज हो चुकी है।
मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि मुकेश के भाई सुरेश ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि जेल के अंदर क्या हुआ। तब जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि उसे कैसे मालूम कि जेल के अंदर क्या हुआ। उसकी सूचना का स्रोत क्या है। उसके बाद कोर्ट ने शर्मा को केस वापस लेने को कहा और केस खारिज कर दिया।
मुकेश ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उसकी पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर ने उस पर दबाव डाल कर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करवाई। याचिका में कहा गया था कि कि उसे फिर से क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल करने का मौका दिया जाए। पिछले पांच मार्च को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया। कोर्ट ने चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने का आदेश दिया था।