रांची। झारखंड के पारा शिक्षिकों के साथ हेमन्त सरकार छल कपट पर उतारू हो गई है, जब जब चुनाव या उपचुनाव आता है तो माननीय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पारा शिक्षिकों से वादा कर चुनावी रैलियों में बड़ी बड़ी डिंग हाँकते है कि चुनाव में साथ दीजिये , चुनाव बाद पारा शिक्षिकों का सेवा शर्त नियमावली को लागू कर देंगे , लेकिन पारा शिक्षिकों का वोट ले कर जैसे ही चुनाव समाप्त होता है तो मुख्यमंत्री जी मौन साध लेते है , जो पारा शिक्षिकों के साथ नाइंसाफी है।

पारा शिक्षिकों के नींव पर ही हेमन्त सरकार का प्रादुर्भाव संभव हुआ है , 15 नवंबर 2018 के ऐतिहासिक आंदोलन के बल पर पारा शिक्षिकों ने ही माहौल को हेमन्त सोरेन के पक्ष में किया और उसी माहौल पर पारा शिक्षिकों के पूर्ण सहयोग से हेमन्त सोरेन ने सरकार बनाई और तीन महीने का वादा कर आज 16 महीने बीतने को है लेकिन इन 16 महीनों में 16 पैसा का इजाफा तक नही हुआ है तो इस हेमन्त सरकार से क्या उम्मीद कर सकते है।

अप्रशिक्षित पारा शिक्षिकों और नवडीहा छतरपुर के पारा शिक्षिकों का बकाया मानदेय का जल्द भुगतान हो , नही तो कोरोना काल समाप्त होते ही जोरदार आंदोलन होगा , जिसकी सारी जिम्मेवारी हेमन्त सोरेन की होगी।

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