रांची। अंतिम सोमवारी के मौके पर राजधानी रांची समेत राज्यभर के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। राजधानी रांची के पहाड़ी मंदिर में बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक के लिए कई श्रद्धालु रविवार रात में ही स्वर्णरेखा नदी से जल लेकर पैदल सोमवार सुबह जलार्पण के लिए मंदिर पहुंचे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पहाड़ी मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। राज्य के अन्य शिव मंदिरों में भी अंतिम सोमवारी पर भक्तों की भीड़ देखी गयी।
इधर, देवघर में बाबा भोलेनाथ के जल अर्पण के लिए भक्तों की भारी भीड़ रविवार देर रात से ही उमड़ पड़ी। बाबाधाम में भक्तों की कतार देर रात से ही लगनी शुरू हो गई थी जो सुबह मंदिर का पट खुलने तक 15 किलोमीटर लंबी होकर कुमैठा स्टेडियम को भी पार कर रतनपुर तक पहुंच गई। देवघर के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा और पुलिस अधीक्षक नरेंद्र कुमार सिंह कतार को सुचारू बनाने और मंदिर की विधि व्यवस्था में लगे रहे। चौथी और आखिरी सोमवारी पर प्रदोष व्रत का भी संयोग बना, जिसको लेकर श्रद्धालु काफी उत्साहित नजर आये। पुजारी ने कहा कि इस बार का श्रावणी हर सोमवार एक विशेष संयोग लेकर आया, वहीं चौथी सोमवारी में प्रदोष का संयोग है। ऐसे संयोग में बाबा भोले पर बेलपत्र, गंगा जल और दूध से अभिषेक करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
अंतिम सोमवारी पर दुमका जिले के बासुकिनाथ मंदिर में कांवरियों का सैलाब उमड़ पड़ा है। दुमका जिला प्रशासन द्वारा लाखों की तादाद में पहुंचे कांवरियों की भीड़ को नियंत्रण करने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बाबा बासुकिनाथ का जलाभिषेक करने के लिए कांवरियों का हुजूम सुबह से ही उमड़ने लगा था। दुमका के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी सोमवार सुबह से ही बासुकिनाथ आने वाले कावरियों को किसी तरह की परेशानी ना इस पर नजर रख रहे थे। पुलिस के द्वारा एक एक कावरियों पर नजर रखी जा रही है ताकि सब कुछ अच्छे तरीके से हो। अंतिम सोमवारी होने की वजह से बासुकिनाथ में कावरियों की अपार भीड़ देखी गई। डाक कावरियों की संख्या भी बाबा बासुकीनाथ के दरबार में जलार्पण करने के लिए लगातार पहुंचती दिखी। जिसकी व्यवस्था जिला प्रशासन ने अलग से किया था। बाबा वैद्यनाथधाम पर जलार्पण करने के बाद कांवरिये फौजदारी बाबा बासुकिनाथ के दरबार में भी हाजिरी लगाते हैं। तभी उनकी यात्रा और मनोकामना पूर्ण मानी जाती है ।
सावन की अंतिम सोमवारी पर कोडरमा में कांवर पदयात्रा का आयोजन किया गया। इसमें शिक्षा मंत्री नीरा यादव और सांसद अन्नपूर्णा देवी भी आम लोगों के साथ शामिल हुईं। ।शिक्षा मंत्री नीरा यादव झुमरी तिलैया के झरनाकुंड से पवित्र जल उठा कर धव्जाधारी पहाड़ तक 15 किलोमीटर की पदयात्रा की और ध्वजाधारी पहाड़ पर बसे भगवान शिव का जलाभिषेक किया। 15 किलोमीटर के पदयात्रा शिवभक्त झूमते गाते पूरा करते दिखे। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार 14 सौ वर्ष पूर्व त्रेता युग में ब्रह्मा के पुत्र कद्रम ऋषि ने इसी ध्वजाधारी पहाड़ पर तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव दर्शन दिए थे। यहां के मुख्य पुजारी महामंडलेश्वर सुखदेव दास ने बताया कि कदम ऋषि के नाम पर ही जिले का नाम कोडरमा पड़ा था। 20 वर्षों से कोडरमा में लगातार सावन की अंतिम सोमवारी पर कांवर पदयात्रा का आयोजन होता है और इसमें न सिर्फ कोडरमा बल्कि आसपास के जिलों के अलावा दूसरे राज्यों के लोग भी शरीक होते हैं। 15 किलोमीटर की पदयात्रा और उसके बाद 777 सीढ़ी चढ़कर ध्वजाधारी पहाड़ पर बसे भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।
रामगढ़ के रजरप्पा में प्रदेश के सबसे ऊंचे शिवलिंग पर अंतिम सोमवारी पर सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार देखी गई। देवघर से पूजा कर लौट रहे शिव भक्तों ने जलाभिषेक करते हुए मां छिन्नमस्तिका की भी पूजा अर्चना की। रामगढ़ जिले के रजरप्पा में स्थित प्रदेश के सबसे ऊंचे शिवलिंग पर सुबह से ही शिव भक्तों का जमावड़ा दिखा। यहां काफी भक्त देवघर में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैधनाथ की पूजा अर्चना करने के बाद रजरप्पा पहुंचे हैं। मंदिर न्यास समिति रजरप्पा के पुजारी ने बताया कि देवघर से आने वाले भक्तों का सुबह से तांता लगा हुआ है। अंतिम सोमवारी पर शिवभक्त अपने डोली के साथ रात में ही दामोदर एवं भैरवी के संगम स्थल से जल लेकर शिवालयों में पहुंचने लगे। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैजनाथ की पूजा के बाद शिव भक्त प्रदेश के सबसे ऊंचे शिवलिंग रजरप्पा में पूजा-अर्चना करने के बाद मां छिन्नमस्तिका की पूजा कर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं।
इधर,खूंटी में सावन की अंतिम सोमवारी पर राज्य के मिनी बाबाधाम में भक्तों की भीड़ उमड़ी। कांवरियों की लंबी-लंबी कतारें सुबह से ही लगी दिखी। तीन चार घण्टों से लोग अपनी पारी का इंतजार करते दिखाई दिए। झारखंड के साथ साथ, बिहार और बंगाल और छत्तीसगढ़ से भी भक्त यहां आते हैं। प्रातःकालीन श्रृंगार पूजा के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए बाबा भोलेनाथ के मंदिर का पट जलार्पण और दर्शन के लिए खोल दिया गया। बाबा अमरेश्वर धाम का पूरा परिसर बोलबम के जयकारे से गुंजायमान रहा। अंतिम सोमवारी के कारण काफी संख्या में कांवरिया और भक्त जलार्पण के लिए रात में ही पहुंच गए थे। कावंरियों को कतारबद्ध और अनुशासित तरीके से मंदिर में प्रवेश कराने के लिए स्वयंसेवकों और पुलिस बलों को भी ड्यूटी पर लगाया गया था। रंग बिरंगे मिठाईयों की दुकानें भी सजायी गयी थी। खूंटी जिला प्रशासन ने चौथी सोमवारी के मद्देनजर सुरक्षा के खास इंतजाम किए थे। अमरेश्वर धाम प्रबंध समिति ने भी भक्तों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा। पूजन सामग्री मन्दिर परिसर के 2-3 किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध है। साथ ही स्वच्छता का भी पूरा प्रबंध किया गया। खूंटी जिला संवेदनशील होने के कारण मजिस्ट्रेटों की भी तैनाती की गई। जिले के अनुमंडल पदाधिकारी और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी आमरेश्वर धाम की लॉ एंड आर्डर अपने जिम्मे संभाला। भीड़ के कारण परिजनों से बिछुड़े लोगों के लिए मन्दिर प्रबंधन समिति ने माइक के द्वारा परिजनों का नाम पता बताया गया ताकि बिछुड़े लोग सकुशल वापस घर जा सकें।
चाईबासा में दूसरी ओर सावन की अंतिम सोमवारी और ईद को लेकर पुलिस प्रशासन ने विशेष एहतियात बरती। इससे पहले रविवार शाम जिला मुख्यालय चाईबासा में पुलिस ने फ्लैग मार्च किया और लोगों से धार्मिक त्योहारों के मौके पर भाईचारा कायम रखने की अपील की थी।