सरायकेला। कोरोना संकट के बीच झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के ग्रामीण क्षेत्र कुचाई में इन दिनों ठठेरा पक्षी (कॉपर स्मिथ बारवेट) की चहचहाहट काफी सुनाई देने लगी है, जो लोगों के कौतूहल का विषय बन गया है। यह पक्षी क्षेत्र के कई जगहों पर भी दिखाई दे रही है। ठठेरा पक्षी की सुंदरता भी लोगों को खूब भा रही है। लोग इसे निहार कर अपने मन को तृप्त कर रहे हैं। इस पक्षी की चहलकदमी भी लोगों को खूब भा रहा है।

पक्षियों के विशेषज्ञ और बीएसएमटीसी, खरसावां के वैज्ञानिक (बी) डाॅ तिरुपम रेड्डी ने बताया कि इस पक्षी की आवाज ठुक-ठुक सी आती है,जैसे कोई हथौड़े से तांबे के पात्र पर चोट कर रहा हो। अंग्रेजी में इसे कॉपर स्मिथ बारवेट के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि बसंता पक्षी की 72 प्रजातियां विश्व में पाई जाती है। इनमें से 16 प्रजातियां भारत में पायी जाती है। खरसावां-कुचाई के ग्रामीण क्षेत्रों में भी तीन-चार प्रजाति के बसंता पक्षी देखे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से पर्यावरण में आए सुधार के बाद इन पक्षियों की चहचहाहट काफी बढ़ी है।

डॉ तिरुपम रेड्डी ने बताया कि पक्षी विज्ञान को प्रेरित करते हैं और कीटों को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा ही, पक्षी बीज फैलाने के साथ-साथ पौधों को परागण करते हैं। पक्षी पूरे परिदृश्य को बदलते हैं। इसलिए प्रकृति व मानव जीवन में पक्षियों का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि पक्षियों को संरक्षित करने की जरूरत है। हर मामले में यह हमारे लिए लाभदायक है। नए प्रजाति के पक्षियों का दिखना यह संदेश देता है कि हमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सचेत रहने की आवश्यकता है।

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