खूँटी। सरकारी विद्यालयों पर झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्वर उराँव के द्वारा टारगेट किए जाने पर खूँटी के जिला सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार ने इनके बयानों की निंदा और भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल के शिक्षकों पर की गई टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है। जिन शिक्षकों से आग्रह कर मंत्री रामेश्वर उरांव की सरकार सत्ता में आई। आज उन सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को झारखंड की शिक्षा व्यवस्था हेतु दोषी गढ़ कर ये हेमंत सरकार के मंत्री अपनी ही सरकार के निक्कम्मेपन का परिचय दे रहे हैं। वे शायद भूल रहे है ये वही शिक्षक है जिन्होंने चुनाव में बूथों पर अपनी सेवा देकर चुनाव कराया जिनके कारण आज ये सत्ता में बैठे है। मंत्री जी भूल रहे है जब इस भीषण कोरोना काल मे ये अपने एसी वाले कमरे में बैठे थे तो यही सरकारी शिक्षक कोरोना काल के लॉकडाउन में फ्रंटलाइन में ड्यूटी कर रहे थे। इसी प्रकार जनगणना, मतदाता सूची से लेकर सैकड़ों कार्य का भार इन्ही सरकारी शिक्षकों के कंधों पर सरकार लाद देती है। उन्होंनेे कहा कि मैं जानना हूँ कि आपके कंधों पर व्यवस्था सुधारने की जिम्मेवारी है तो क्या यह हेमंत सरकार के ऊपर कटाक्ष कर रहे हैं? और अगर आप व्यवस्था सुधार नहीं पा रहे हैं तो सरकार से इस्तिफा क्यों नही दे देते है?
लगभग 2 वर्ष इनकी झारखंड में सरकार को होने को है। झारखंड की विकास दर, रोजगार, शिक्षा व्यवस्था सभी लचर स्थिति से जूझ रहा है। मैं मंत्री से यह पूछना चाहता हूँ कि लगभग 2 वर्ष झारखंड में हेमंत सरकार के होने को है फिर भी सरकारी विद्यालयों के उत्थान के लिए इनके सरकार के द्वारा अभी तक क्या किया गया है?
प्राइवेट स्कूल के द्वारा इस भीषण कोरोनाकाल की स्थिति में ऑनलाइन क्लास के नाम पर अनर्गल फ़ी की वसूली से हर दूसरा गार्जियन पीड़ित है। इस पर हेमंत सरकार चुप क्यों है? मंत्री जी प्राइवेट स्कूलों की वकालत कर झारखंड के गरीब जनता एवं सुदूर इलाके में शिक्षा की आस में रह रहे गरीब आदिवासी छात्र, छात्राओं के भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कार्य कर रही है जिनके अभिभावकों के द्वारा एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था हेतु इन्हें जीताकर सत्ता में लाया गया है।