कटकमसांडी (हजारीबाग)।  लघु सिंचाई विभाग द्वारा खेतों में पटवन के लिए करीब 20 करोड़ के लागत से नौ किमी. नवनिर्मित नहर अपनी जर्जरता पर आंसू बहाने को विवश हैं। छह माह पूर्व बने नहर रेबर गांव के रतनियां टोला के समीप पिछले दिनों हुई बारिश में करीब 40 फीट तक टूटे नहर का जायजा लेने पहुंचे लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता सहित एई व जेई को ग्रामीणों व किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। इस दौरान संवेदक मुकेश कुमार ग्रामीणों से दूरी बनाए रखा। बता दें कि इस नहर टूटने से आस पास के करीब पांच एकड़ खेतों में लगे धान का फसल बर्बाद हो गया।

साथ ही टूटे नहर का सारा मलबा खेतों में जमा हो गया। भुक्तभोगी मनोज मेहता, रामेश्वर साव, मुरली साव, मनी साव, चौतरी साव, महेन्द्र साव आदि किसानों ने दूरभाष पर संवेदक मुकेश साव से फसलों की क्षति के एवज में मुआवजे की मांग की है। इधर एक दिन पूर्व नहर टूट जाने की खबर पाकर पहुंचे कटकमसांडी पूर्वी व पश्चिमी के दोनो सांसद प्रतिनिधियों क्रमशः राजेन्द्र प्रसाद राजा व मुनेश ठाकुर ने मौके पर पहुंचकर नवनिर्मित नहर की जर्जर स्थिति देख पूरे मामले की हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा से उच्चस्तरीय जांच कराने की बात कही है। उन्होंने बताया कि करोड़ों रूपए खर्च होने के बावजूद बेतरतीब बनाए गए नहर से डैम का पानी खेतो में न जाकर उल्टा खेतों का पानी नहर होकर डैम में जा रही है। बताया कि करीब नौ किमी. नहर पहली ही बारिश में अपनी गुणवत्ता की पोल खोल चुकी है। नहर के दोनों छोरों की दीवारें ढहने व फटने लगी है। जगह जगह दीवारों में दरारें पड़ गई है। नहर की ढलाई में लेवलिंग नहीं रहने के कारण विपरित दिशा से पानी आकर नहर के बीचोबीच जमा हो जा रहा है।

नहर में काम करने वाला रेबर गांव के ही रवि रंजन नामक एक युवक ने बताया कि विभाग के जेई द्वारा बेवजह नहर के बीच बीच में तीन जगह तीन तीन फीट का पांच ड्राप बनाया गया है, जिसके कारण पानी का बहाव अवरूद्ध हो गया है। मालुम हो कि रेबर बीयर (छोटा) डैम से दो कैनल निकाला गया है। एक कैनल रेबर से होकर बलिया होते हुए गरवा तक और दूसरा कैनल रेबर से होकर होरिया होते हुए कुटीपिसी तक निकाला गया है।

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