केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा सहित कई लोग लेंगे भाग
खूंटी। हमलोगों ने जलियांवाला बाग की कहानी तो सुनी है, जहां 13 अप्रैल 1919 को जेनरल डायर के आदेश पर सैकड़ों निर्देशों को अंग्रेजों ने गोलियों से भून दिया था, पर शायद यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि जलियांवाला बाग की घटना के पहले भी अंग्रेजों ने झारखंड में ऐसे ही नर संहार को अंजाम दिया था, जिसमें सैकड़ों आदिवासी महिला-पुरुष शहीद हो गये थे। अमर स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा नौ जनवरी 1899 को अड़की प्रखंड के डोंबारी बुरू(पहाड़) पर अपने समर्थकों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध की रणनीति बना रहे थे। सभा में गुटुहातू, डिगरी, डोंबारी, उलिहातू सहित दर्जनों गांवों के पुरुष, महिलाएं और बच्चे पहुंचे थे। बैठक की सूचना देश के गद्दारों ने अग्रेजों को दे दी। सूचना मिलते ही अंग्रेज सैनिक डोंबारी पहाड़ पहुंच गये और बिरसा मुंडा के सैनिकों से हथियार डालने को कहा, पर बिरसा मुंडा के वीरों ने हथियार डालने के बदले शहीद होना उचित समझा और अंग्रेजों के खिलाफ आखिरी दम तक संघर्ष किया। इस गोली कांड में सैकड़ों निर्दोष बच्चे, महिला और पुरुष शहीद हो गये। हालांकि बिरसा मुंडा किसी प्रकार भागने में सफल रहे।
जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री और खूंटी के सांसद अर्जुन मुंडा, खूंटी के विधायक और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा सहित कई जन प्रतिनिधि और अधिकारी गुरुवार को डोंबारी जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे। शहीदों की याद में वहां भव्य मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
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