खूंटी । कोविड-19 के वैश्विक महामारी कालखंड में आरएसएस संघ के कार्यकर्ताओं ने अपने अपने तरीके से असहायों और जरुरतमंदों की सेवा के लिए तत्पर हैं ।
इसी क्रम में जिले निवासी अपने रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों में जाने से फँस गए हैं, जिनके पास कार्यों की कमी के कारण तंगी की हालत में फँसे हुए थे। इसी क्रम में झारखंड के खूँटी जिले के जम्मू के बनिहाल में फँसे देहाती क्षेत्रों के अल्पसंख्यक मजदूर भूखे और भयभीत और चिंतित थे । जिन्हें वहाँ के आरएसएस कार्यकर्ता लोगों ने मदद किया। फिर झारखण्ड के संघ के स्वयंसेवक द्वारा उन्हें रेस्क्यू कर पूरी सुविधा के साथ अपने गृह क्षेत्र में लाने में पूरी मदद की।विदित हो कि जिस जगह जेवियर, जेम्स, क्रिस्टो, बुधुवा, सोमा, जुरसेन, कोसमस, फिलीप आदि अनेक मजदूरों ने काम करते थे उन्हें बिना तनख्वाह पैसे दिये काम बंद कर दिया था। स्वयंसेवकों ने केन्द्रीय जनजातीय विकास मंत्री अर्जुन मुंडा की सहायता ली। साथ ही केन्द्रीय मंत्री द्वारा जम्मु के उपायुक्त के संज्ञान में देते हुए पूरी सहायता मुहैया कराया गया। उन्होंने पहले इन मजदूरों के पैसे दिलवाने में सहायता की। साथ ही कार्यकर्ताओं की सहायता से ट्रेन में किसी प्रकार की दिक्कत या कठिनाई न हो इसके लिए खाने-पीने के उत्तम प्रबंध कर वापस ले आया गया।
ये मजदूर कभी दिग्भ्रमित होकर आरएसएस को हिन्दू संगठन कहा करते थे वहीं आज इन लोगों ने राष्ट्रवादी कह संघ को परोपकारी दैवसंगठन की संज्ञा देकर धन्यवाद कहा है। उन्होंने जहाँ अपरिचित होते हुए भी सहायता मिल पाने से घर पहुँच गए हैं ।
इस नेक कार्य को करने में पूर्व प्रचारक विजय केशरी, नवल किशोर कुमार और हटिया के अखिलेश्वर नाथ मिश्र के कुशल समन्वय और संवाद से सफल हो सका। मेरे द्वारा संघ के अधिकारी विजय केशरी से पूछे जाने से कि हिंदू धर्म आस्था मात्र पर संघ कार्य करता है , तो अभी भी ऐसा ही कर रहा है क्या ? जवाब में उन्होंने बताया कि आरएसएस हिंदू संगठन है पर वह राष्ट्र विचारपरक संगठन है । जो भारत की आजादी हो या बॉर्डर पर सेनाओं की मदद । रक्तदान हो या त्रासदी। संगठन ये कभी नहीं देखती है कि वहाँ फँसे लोग किस धर्म या संप्रदाय के हैं। ये पहले हिन्दूस्थानी हैं । ऐसे भी संगठन का भाव रहता है “सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया ।” जिसे आप भले कह सकते हैं यह विचार हिन्दू विचारधारा है । जैसा आप सोचें ।