इंफाल। बीजेपी के हाथ से मणिपुर निकल सकता है। यहां सियासी संकट बढ़ता जा रहा है। चार मंत्रियों और तीन बीजेपी विधायकों के इस्तीफे के बाद एन बिरेन सिंह की सरकार खतरे में है। इस बीच कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अपील की है। सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट के जरिए गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी है।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद एनपीपी प्रमुख थांगमिलेन किपगेन ने कहा कि एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए हमने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है। किपगेन ने कहा कि राज्य में इबोबी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए नवगठित सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) को आमंत्रित करने की गुजारिश की है। कांग्रेस, एनपीपी, तृणमूल कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों समेत एसपीएफ के सभी सदस्यों के समर्थन पत्र का भी जिक्र किया गया है। राजभवन ने अभी मामले पर चुप्पी साधी हुई है।
कैसे शुरू हुआ सियासी संकट
उपमुख्यमंत्री वाई जॉयकुमार सिंह, आदिवासी एवं पर्वतीय क्षेत्र विकास मंत्री एन कायिशी, युवा मामलों और खेल मंत्री लेतपाओ हाओकिप और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एल जयंत कुमार सिंह ने बुधवार को मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा बीजेपी विधायक एस सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेंदई ने विधानसभा और पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विपक्षी कांग्रेस ने सरकार बनाने की कवायद तेज कर दी। समर्थन वापस लेने वाले बाकी सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के विधायक टी रबिंद्र सिंह और निर्दलीय विधायक शहाबुद्दीन शामिल हैं।
नये सीएम की रेस में इबोबी सिंह
बदले सियासी माहौल में कांग्रेस नेता ओ इबोबी सिंह सीएम की रेस में हैं। इबोबी सिंह का कहना है, ‘पार्टी ने समान सोच वाले विधायकों के साथ मिलकर चलने का फैसला किया है।’ उधर, मणिपुर हाई कोर्ट ने विधानसभाध्यक्ष को निर्देश दिया कि वह दल-बदल करने वाले सात कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी लंबित मामलों पर शुक्रवार तक कोई आदेश नहीं सुनाएं। कांग्रेस के ये विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है, ‘यह स्पष्ट है कि माननीय विधानसभाध्यक्ष ने जो आदेश आज सुरक्षित रखा है, वह कल तक नहीं सुनाया जाएगा।’
विधानसभा का गणित
नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री के खिलाफ विधायकों की संख्या अब 29 हो गयी है । सीएम बिरेन सिंह के समर्थन में 23 विधायक हैं जिनमें बीजेपी के 18, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार और एलजेपी के एक विधायक हैं । साल 2017 में 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 28 सीटें जीतने के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि बीजेपी के खाते में 21 सीटें आई थी। एनपीपी और नगा पीपल्स फ्रंट के 4 विधायक भी चुनाव में जीते थे। वहीं दूसरी ओर एलजेपी, टीएमसी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक सीट जीती थी।