रामगढ़। जिले के चुट्टूपालू घाटी मौत की घाटी के रूप में प्रसिद्ध हो गई है। यहां लगभग हर दिन सड़क हादसा हो रहा है। लेकिन एनएचएआई के अधिकारी और रामगढ़ जिला प्रशासन इस बिंदु पर कोई पहल नहीं कर रहा हैं। उनकी चुप्पी से अब आम लोग दहशत में हैं। रामगढ़वासी इस बात की चर्चा कर रहे हैं, कि अब “और कितने लोगों की बलि एनएचएआई चढ़ाएगा”।
चुटूपालु घाटी के निर्माण में भारी अनियमितता बरते जाने की शिकायत पिछले 7 वर्षों से की जा रही है। कई बार रामगढ़ एसपी के द्वारा एनएचएआई को पत्र लिखा गया, तो कई बार डीसी ने इस मुद्दे पर एनएचएआई के साथ विचार-विमर्श किया।
जिले के समाजसेवियों ने सैकड़ों पत्र केंद्रीय मंत्री और एनएचएआई के अधिकारियों को भेजे होंगे। लेकिन इन सब का नतीजा शून्य ही रहा है। गुरुवार को एक ही परिवार के 3 लोगों की जान चली जाने के बाद एन-33 का पटेल चौक एक बार फिर लोगों की जुबान पर चढ़ गया है। इस चौक के निर्माण में ही इतनी खामियां हैं, जिसकी वजह से आए दिन हादसे होते रहते हैं। यहां हादसों को रोकने के लिए कभी एनएचएआई स्पीड ब्रेकर लगाता है, तो कभी येलो पेंट से काम चलाता है। लेकिन यहां हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। रामगढ़ शहरवासियों ने डीसी को पत्र लिखकर यहां पर एक फ्लाईओवर का निर्माण कराने की मांग की थी। लेकिन उस पर कोई पहल नहीं हुई।
एनएचआई के अधिकारी टोल टैक्स तो वसूलते हैं, लेकिन घाटी में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं करते हैं। घाटी में गढ़के मोड़ पर जिला प्रशासन ने गाड़ी नहीं रोकने का निर्देश जारी किया है। 24 घंटे वहां पेट्रोलिंग टीम अपना करती है। लेकिन हादसों को रोकने में यह सारे प्रयास असफल ही साबित हुए हैं।
डेढ़ वर्ष पहले तत्कालीन डीसी राजेश्वरी बी ने गड़के मोड़ के पास लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्ट्रीट लाइट लगाने का निर्देश एनएचआई को दिया था। लेकिन उनके तबादले के बाद एनएचएआई ने भी अपना पैर पीछे हटा लिया। अब वह पूरा इलाका हादसों से दहलता रहता है। हर दिन ट्रक, टेलर, बाइक व अन्य छोटे-बड़े वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं। पुलिस की एक टीम वहां रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के लिए ही तैनात कर दी जाती है। एनएचएआई अपना क्रेन लेकर वहां अपनी उपस्थिति दर्शा देता है। लेकिन उस स्थान पर हादसे ना हो इसके कोई पुख्ता इंतजाम नहीं करता है। गड़के मोड़ पर 1 किलोमीटर लंबी एक नई लेन का निर्माण भी किया जाना था। वह कार्य भी अभी तक अधूरा है। उस काम को पूरा करने के लिए भी एनएचएआई के अधिकारी गंभीरता से विचार नहीं कर रहे हैं। इस सड़क के निर्माण के नाम पर घाटी में गड्ढे खोद दिए गए हैं। यह गड्ढे भी हादसे की वजह ही बन गए हैं।