पटना। 7वीं विधानसभा का आखिरी दिन भी हंगामेदार रहा। बिहार विधानसभा में शुक्रवार को राज्यपाल फागू चौहान के अभिभाषण पर वाद-विवाद चला। विरोधी दल के नेता तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अमर्यादित निजी टिप्पणी की। बच्चे गिनने और पैदा करने की बातें कई बार दोहराईं। विरोधियों को चोर और बेइमान तक कह डाला। इस पर सदन में हंगामा खड़ा हो गया। नीतीश भी बिफर पड़े। जबरदस्त तकरार हुई। शायद पहली बार ऐसा था जब नीतीश कुमार इतने गुस्से में देखे। उन्होंने कहा, हम अब तक चुप थे। मेरे भाई जैसे दोस्त (लालू प्रसाद) का बेटा है इसी वजह से सुनते रहते हैं। तुमको डिप्टी सीएम किसने बनाया था। चार्जशीटेड हो, तुम क्या करते हो, हम सब जानते हैं। साथ ही नीतीश कुमार ने तेजस्वी को नसीहत भी दी। बोले, आगे बढ़ना है तो मर्यादा का पालन करें।
दरअसल, धन्यवाद प्रस्ताव के बाद जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बोलने का मौका मिला तब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एक के बाद एक कई निजी हमले किये। कहा, सत्ता पक्ष में चोर और बेईमान लोग हैं। एनडीए चोर दरवाजे से सत्ता में आया है। तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर निजी टिप्पणी भी की। तेजस्वी ने कहा कि हमारे पिताजी के बारे में क्या-क्या कहा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी अपनी चुनावी सभाओं में लालू के 9 बच्चों की बात करते थे। कहते थे लड़की पर भरोसा नहीं था, इसलिए लड़के की चाहत में कुछ लोग अपने बच्चों का इतना बड़ा कुनबा बना लेते हैं। तो, मैं यह कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी आपका भी एक बेटा है, और हैं भी कि नहीं, लेकिन दूसरा बच्चा इस डर से पैदा नहीं किया क्योंकि आपको बेटी होने का डर था। मुख्यमंत्री जी पर यह शोभा नहीं देता कि वह दूसरों के बच्चों को गिनें। इसके अलावा उन पर आरोप लगाया कि वह 1991 में हुई एक हत्या के मामले में शामिल हैं। साथ ही तेजस्वी ने नीतीश पर कंटेंट चोरी के मामले में उन पर लगे 25 हजार रुपये जुर्माने का भी जिक्र किया। इस पर जदयू और भाजपा के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई। इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। इस पर सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नेता प्रतिपक्ष से संयमित भाषा का इस्तेमाल करने और निजी बातों की बजाय विकास की बातों पर चर्चा करने का आग्रह किया, लेकिन तेजस्वी नहीं माने और लगातार निजी हमला करते रहे।
इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर आग बबूला हो गये और जमकर खरी-खोटी भी सुनाई। गुस्से में तमतमाते हुए नीतीश कुमार अपनी सीट से उठे और कहे, जो बात ये बोल रहा है उसकी जांच होनी चाहिए और इसके खिलाफ कार्रवाई होगी। ये झूठ बोल रहा है। मेरे भाई समान दोस्त का बेटा है, इसीलिए चुप रहकर सुनते रहता हूं। इसके पिता को विधायक दल का नेता किसने बनाया था, इसको उप मुख्यमंत्री किसने बनाया था, इसको पता है। इस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो हमने उससे कहा कि जवाब दो, मगर जब जवाब नहीं दिया तो हम अलग हो गये। हम कुछ नहीं बोलते हैं। तेजस्वी पर चार्जशीट है। 2017 में क्यों नहीं स्थिति स्पष्ट किया था। उन्होंने तेजस्वी यादव को नसीहत देते हुए कहा कि अगर आगे बढ़ना है तो मर्यादा का ध्यान रखें। केवल बोलने से जनता की सेवा नहीं होती है। जिसे बहुमत है, उसकी सरकार बनेगी। हमने समाज में भाईचारा कायम किया। शायद पहली बार ऐसा था जब नीतीश कुमार को इतने गुस्से में देखा गया।
हालांकि, तेजस्वी यादव के भाषण की समाप्ति के बाद संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि सीएम पर हत्या का जो मामला चल रहा था उसे सुप्रीम कोर्ट ने समाप्त कर दिया है और इसी कारण से इस मुद्दे को सदन में उठाना ठीक नहीं है। विजय चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की कि तेजस्वी यादव के इन आरोपों को सदन की कार्यवाही से हटा देना चाहिए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई निजी टिप्पणियों और असंसदीय शब्दों को कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया। फिर सत्ता पक्ष शांत हुआ। इससे पहले सभा की कार्यवाही शुरू होते ही राजद, कांग्रेस, भाकपा-माले, माकपा और भाकपा के सदस्य कृषि बिल वापस लेने की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए सदन के बीच में आ गए। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के आग्रह पर विपक्ष के सदस्य कुछ देर के बाद ही अपनी-अपनी सीटों पर लौट गये।