रांची। भौतिकवादी युग में विकास की सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते न जाने कितनी बार प्रकृति का दोहन किया जा रहा है। पर्यावरण से छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि वर्षों-महीनों जंगलों में आग लगते देखा जाता है। कहीं नदियां सूख रही हैं तो कहीं बाढ़ का प्रकोप, तुफान, बेमौसम बारिश, देश और दुनिया में अनेकों प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं देखी और सुनी जा रही हैं।
इन सभी आपदाओं का मानव जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ईश्वर ने धरती पर मौजूद जल, जंगल, जमीन मानव सभ्यता एवं जीवन के लिए एक ऐसा प्राकृतिक व्यवस्था के रूप में हमें दिया है,जिसके माध्यम से हम सभी लोग अपना जीवन यापन करते हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ या इनका दोहन करना जीवन के लिए खतरे की घंटी है। पर्यावरण और मानव जीवन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना आवश्यक है। सरकार के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से भी प्रकृति संरक्षण हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।
उक्त बातें मुख्यमंत्री ने सोमवार को झारखंड विधानसभा परिसर स्थित सभागार में आयोजित 72वें वन महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कई दशकों के इतिहास में यह देखा गया है कि पर्यावरण को हम उतना संरक्षित नहीं कर पाए जितना संरक्षित करना चाहिए था। आधारभूत संरचनाओं के विकास एवं निर्माण कार्यों में बड़ी संख्या में वृक्षों की कटाई हुई है। वृक्षों को कटने से बचाना वर्तमान समय में महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी कार्यक्रमों में लोग एक दूसरे को उपहार स्वरूप बुके देने का कार्य करते हैं लेकिन मेरा मानना है कि बुके की जगह क्यों न हम उपहार स्वरूप एक दूसरे को पौधा देने का काम करें एवं उस पौधे को संरक्षित करने का संकल्प लें। जीवन में प्रत्येक व्यक्ति अगर एक पेड़ को बचाने संकल्प लें तो निश्चित रूप से हम पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण सहभागिता निभा सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी लोग आज इस पौधारोपण मुहिम से जुडें और इसे सार्थक बनाने का प्रण लें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण को लेकर देश एवं दुनिया में कई गोष्ठियां, सेमिनार इत्यादि आयोजित हो रही हैं। पर्यावरण को लेकर बड़ी-बड़ी संस्थाएं, इंडस्ट्री, सामाजिक संस्थान इत्यादि के लोग चिंतित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे झारखंड प्रदेश को प्रकृति ने बहुमूल्य उपहार के रूप में जंगल-झाड़, नदी-झरने, प्राकृतिक सौंदर्य से संवारने का काम किया है। वन-जंगल से आच्छादित यह प्रदेश सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं जाना जाता है, बल्कि जमीन के ऊपर और जमीन के भीतर खनिज संपदा का भंडार भी हमें प्रकृति ने दिया है।
मुख्यमंत्री ने रखा यह सुझाव
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण सुझाव रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड विधान सभा परिसर में पौधारोपण कार्यक्रम का एक नया मॉडल बनाया जाए। यह विधान सभा परिसर 50-60 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। उक्त भूमि के अंतर्गत एक फलदार वृक्ष का चुनाव कर लिया जाए और इस परिसर को बगीचा के रूप में विकसित किया जाए तो यह एक बहुत ही सकारात्मक और अच्छी पहल हो सकती है। रिसोर्सेज जनरेट कर विधान सभा परिसर को एक बेहतरीन बगीचा के रूप में विकसित कर आय का साधन बनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा परिसर को सजाने, संवारने और मेंटेनेंस में सरकार का लाखों रुपए खर्च होते हैं। क्यों न ऐसा मैकेनिज्म तैयार हो की बगीचा के फलों से इतनी राशि उपलब्ध हो सके की इस परिसर का पूरा मेंटेनेंस कार्य हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड विधान सभा देश का पहला ऐसा विधान सभा बने जिसका मेंटेनेंस उसके अपने बगीचे के फंड से हो।
पर्यावरण संतुलन समय की मांग
मौके पर झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण संकट मानव सभ्यता के बीच उभरकर आया है। निश्चित रूप से इस संकट से उबरने के लिए हम सभी को आगे आने की आवश्यकता है। वन-जंगल, पेड़-पौधा का ग्रामीण अर्थ नीति में महत्वपूर्ण स्थान है। पेड़ की खेती एक ऐसी खेती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। पेड़ की खेती को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आय का स्रोत माना जाता है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि निरंतर वृक्षों की कटाई तथा प्रकृति का दोहन मानव सभ्यता के लिए खतरे की घंटी है। हाल के दिनों में पूरा विश्व ऑक्सीजन संकट से गुजर रहा था। वृक्षों के कटाई का मानव जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सुझावों के अनुरूप निश्चित रूप से झारखंड विधान सभा परिसर में फलदार वृक्ष लगाने का कार्य किया जाएगा।
राज्य में बिरसा मुंडा हरित ग्राम योजना का सकारात्मक परिणाम
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में पिछले वर्ष राज्य में बिरसा मुंडा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की गई थी, जिसका रिस्पांस अभी तक बहुत ही सकारात्मक रहा है। आलमगीर आलम ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण कार्य करने की जरूरत है। आज हम सभी लोग यहां झारखंड विधान सभा परिसर में वन महोत्सव के अंतर्गत पौधरोपण कर लोगों में एक संदेश देने का कार्य कर रहे हैं। यह सिलसिला अनवरत चलता रहे इस सोच के साथ हमें आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से पेड़ लगाने की अपील की।
मौके पर झारखंड विधान सभा परिसर में विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, आलमगीर आलम, मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, मंत्री बादल पत्रलेख, विधायक लम्बोदर महतो, दीपिका पांडे सिंह, अनूप सिंह, ममता देवी, बैजनाथ राम, समरी लाल, समीर मोहंती, अमित मंडल, विनोद सिंह सहित अन्य विधायकों ने भी पौधारोपण कर प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया।