तमिल महीने आदि में पड़ने वाली अम्मावस्या पर गांव के देवता पेरिया करुपसामी का सम्मान किया जाता है. पहले देवता का दूध से अभिषेक किया जाता है. इसके बाद मिर्च पाउडर का अभिषेक किया जाता है और उन्हें सजाया जाता है. इसके अलावा उन्हें शराब और सिगार भी दिया जाता है.
परंपराओं के मुताबिक, इसके बाद मंदिर के पुजारी गोविंधन को भी कई रीति-रिवाज करने पड़ते हैं. जैसे वे हंसिए पर खड़े होकर श्रद्धालुओं की समस्या सुनते हैं. इसके बाद पुजारी को मिर्च यज्ञ से गुजरना पड़ता है. इसके तहत पुजारी को 108 किलो मिर्च पाउडर पानी में मिलाकर उन्हें नहलाया जाता है. लोगों को ऐसा विश्वास है कि ऐसा करने से भक्तों से बुरी आत्माएं और दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं.
जब पानी में मिर्च मिलाई गई तो उसका रंग चमकीला लाल हो गया था. मिर्ची की वजह से लोग यहां आसपास सांस भी मुश्किल से ले पा रहे थे. इसके बावजूद पुजारी ने शांति से मिर्च यज्ञ किया और स्नान किया.