दुर्घटना के बाद घटनास्थल पर पहुंचे बचाव दल के सदस्य एनसी मुरली ने बताया कि हमने दो लोगों को जिंदा बचाया था। जिनमें जनरल रावत भी थे। उन्होंने बताया कि सीडीएस ने हिंदी में धीमे स्वर में अपना नाम बोला था। मैं जनरल बिपिन… बचावकर्मी तुरंत उन्हें अस्पताल लेकर भागे। लेकिन शरीर के निचले हिस्से में गहरे जख्म के कारण देश का यह वीर सपूत सदा के लिए सो गया।
उन्होंने बताया कि जनरल रावत के शरीर के निचला हिस्सा बुरी तरह जल गया था और काफी जख्म थे। उन्हें बेडशीट में लपेटकर हम एंबुलेंस में ले गए। हालांकि अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई।
घटनास्थल का दौरा करने वाले नीलगिरी में स्वास्थ्य सेवा के संयुक्त निदेशक (Joint Director of Health) डॉ. एस पलनीसामी ने बताया कि ज्यादातर शव मलबे में दबे हुए थे। आग पर काबू पाना मुश्किल था।