रांची। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दायर दल बदल मामले में अब सिर्फ संवैधानिक बिंदुओं पर सुनवाई होगी। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो के कोर्ट में सोमवार को 10वीं अनुसूची के तहत बाबूलाल मरांडी के दल बदल मामले पर सुनवाई हुई। इसमें स्पीकर ने मामले में आयी प्रारंभिक आपत्तियों को रिजेक्ट कर दिया और कहा कि अब सिर्फ इस मामले में मेरिट पर बहस होगी। माना जा रहा है कि मामला मेन ट्रैक पर आ चुका है। अब सिर्फ संवैधानिक बिंदुओं पर सुनवाई होगी। जल्द ही मामले में फैसला आ सकता है।
सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता आर एन सहाय ने कहा कि याचिका 10 महीने विलंब से दायर की गई है। यह गलत है। ऐसे में कोई भी दल बदल मामले में विधायकों को परेशान कर सकता है। उन्होंने इस याचिका को खारिज करने की मांग न्यायाधिकरण से की। विधायक दीपिका पांडेय सिंह, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने कहा कि संविधान में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं है कि 10 महीने के बाद याचिका दायर नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि विलंब के लिए इस तरह की दलील दी जा रही है। अब इस मामले में ज्यादा विलंब नहीं करते हुए केस के मेरिट पर सुनवाई की जाय। दोनों पक्षों की बात को सुनने के बाद स्पीकर ने चारों याचिका का प्रोपोसेड इशू स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले पर सीधे तौर पर बाबूलाल की सदस्यता रहेगी या जाएगी, इसपर सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि दलबदल मामले में बाबूलाल मरांडी के खिलाफ स्पीकर कोर्ट में चार अपील दायर की गयी हैं। बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव जीतकर भाजपा में शामिल होने के खिलाफ पूर्व विधायक राजकुमार यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक भूषण तिर्की, कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह और विधायक प्रदीप यादव एवं बंधु तिर्की ने याचिका दायर की थी। इससे पहले छह मई को भी स्पीकर ने मामले में सुनवाई की थी। राजकुमार यादव और भूषण तिर्की की ओर से दायर याचिका पर बहस के दौरान बाबूलाल मरांडी की ओर से दलील दी गई कि संबंधित मामला हाई कोर्ट में चल रहा है़। ऐसे में स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई नहीं हो। यह दो संस्थाओं के टकराव का मामला न बन जाए इसलिए याचिका स्पीकर के कोर्ट में खारिज कर दिया जाए।
2020 में झाविमो का भाजपा में हुआ विलय : दलील यह दी गई कि यह केस विधानसभा की नियमावली के प्रतिकूल है। 11 फरवरी 2020 को झाविमो का भाजपा में विलय हुआ था। छह मार्च को इलेक्शन कमीशन ने मर्जर को सही करार दिया। मर्जर के 10 महीने बाद बाबूलाल के खिलाफ 16 दिसंबर 2020 को पहला केस फाइल किया गया था। दसवीं अनुसूची के रूल 6 के तहत दल बदल के मामले में देर से किया किया गया ऑब्जेक्शन खारिज हो जायेगा।