रांची। झारखंड प्रदेश मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की ओर से झारखंड विधानसभा सभागार में शिक्षा तथा संवाद विषय पर गुरूवार को परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि शिक्षा किसी से भी मिले उसे लेना चाहिए। प्रेम का संबंध ही प्रगति का मार्ग है। धरती में हम एक-दूसरे के पूरक हैं। श्री मरांडी ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि मंच ने इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया है जिससे संवाद का रास्ता प्रारंभ हो रहा है इस प्रयास को और आगे बढ़ाना चाहिए। यह तभी संभव होगा जब समाज शिक्षित हो। शिक्षा से बौद्धिक विकास होता है जिसके पश्चात परिवार एवं समाज का विकास संभव हो पाता है। उन्होंने कहा कि भारत देश की परंपरा रही है के सभी सुखी रहें और विश्व का कल्याण हो इसकी परिकल्पना भारतीय ऋषियों ने की थी अतः भारतवर्ष में किसी व्यक्ति या समाज का नुकसान नहीं हो सकता अतः हमें मिलजुल कर भारत को मजबूत बनाना है और विश्व के समक्ष एक मिसाल प्रस्तुत करना है । कार्यक्रम में मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ शाहिद अख्तर ने कहा कि मंच के सर संघचालक मोहन भागवत से मेरी मुलाकात बीते दिनों एक कार्यक्रम में हुई। उन्होंने विभिन्न विषयों पर बात करते हुए कहा कि मुसलमानों के बिना हिंदुत्व की परिकल्पना नहीं की जा सकती। सरसंघचालक ने यह भी कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि मुसलमान दूसरे देश चले जाए वह हिंदू नहीं हो सकते, इन सब तथ्यों को सामने रखते हुए यह आवश्यक है कि मुस्लिम समाज शिक्षित हो शिक्षा के द्वारा ही संवाद का रास्ता खुल सकता है और विवादों के समाधान समाज के द्वारा ही किया जा सकता है। अतः आवश्यक है कि हम समाज को शिक्षित करने का प्रयास करें। अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़े, भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां उन्नति के लिए सबको समान अवसर प्राप्त है।
विश्व कल्याण की बात करता है संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व क्षेत्र संघचालक सिद्धि नाथ सिंह ने कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान कहा कि मुस्लिम तथा हिंदू समाज को आपस में मिल-बैठकर विचार-विमर्श करना चाहिए कि हमारे मध्य कुछ समता है या केवल विषमता है। उन्होंने कहा कि संघ ने ऐसे स्वयंसेवक तैयार किए हैं जो ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर है । संघ व्यक्ति के साथ समाज निर्माण का कार्य करता है तथा संघ यह कार्य जाति मजहब से ऊपर उठकर करता है जिससे राष्ट्र निर्माण संभव हो सके। उन्होंने कहा कि संघ विश्व कल्याण की बात करता है , संभव होगा कि कुछ लोगों को संघ के विचार से मतभेद हों लेकिन संघ कभी किसी का नुकसान करने की नहीं सोचता। संघ के नजदीक इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है और इसी पर संघ कार्य करता है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक तथा राष्ट्रीय शैक्षणिक शिक्षण संस्थान आयोग के सदस्य डॉ शाहिद अख्तर थे। वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व क्षेत्र संघचालक सिद्धि नाथ सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में विषय प्रवेश मंच के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफेसर अशफाक ने किया। उन्होंने भारत में अल्पसंख्यक समुदाय से संवाद स्थापित करने की दिशा में बल देते हुए कहा कि यदि किसी प्रकार की भ्रांति एवं विवाद है तो आपस में बातचीत करके इसको हल किया जा सकता है, इसमें शिक्षा अहम भूमिका अदा कर सकती है। परिचर्चा में मंच के प्रदेश संयोजक अधिवक्ता तनवीर अब्बास, हाजी एजाज खान, प्रोफेसर अशफाक, नाजिश हसन, फरहाना खातून, वारिस खान, टीपू खान, आसिफ इकबाल, एखलाख, बब्बन, शमशेर, नौशाद, शाहनवाज, ताबिश, इसराफिल के अलावा लोहरदगा, रामगढ़, जामताड़ा तथा रांची जिला के मंच के कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ हाफिज मोबिन ने तिलावते कुरान से किया। संचालन वारिस खान तथा समापन पर राष्ट्रगान कयामुद्दीन खान ने गया। वहीं, धन्यवाद ज्ञापन डॉ नाजिश हसन ने किया।