वाराणसी: काशी विद्वत परिषद का कहना है कि यह धारणा पूरी तरह से भ्रामक है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही आती है। काशी के ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अब 2080 तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी।
जयिोतिषविदों का कहना है कि राशि के सूर्य से आगे बढ़ जाने से पर्वकाल में अंतर आ जाता है। हर 100 साल में यह पर्व 24 घंटे आगे बढ़ जाता है अर्थात 25 साल में 6 घंटे का अंतर। 1900 से 2000 तक मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती थी।
मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को ही मकर संक्रांति कहा जाता है। हर साल सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश करीब 20 मिनट देर से होता है। इस तरह हर साल यह समय बढ़ता रहता है।
80 से 100 साल में ऐसी स्थिति आती है कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश एक दिन देरी से होता है। पिछले 4-5 साल से लगातार मकर संक्रांति का समय 15 जनवरी को ही हो रहा है। भविष्य में 2080 के बाद यह पर्व 16 जनवरी को मनाया जा सकता है।