Bengaluru : झील में तैरने गये नागराज और हेमंत डूब गये। जब तक उन्हें बाहर निकाला गया, तब तक उनके सांसों की डोर टूट चुकी थी। 11 साल के नागराज और 12 साल के हेमंत की मौत की फैली खबर के बाद दोनों के घरवालों का हाल बेहाल था। इसी बीच हेमंत के पिता मालतेश को कहीं से पता चला कि नमक की बोरियों में डेड बॉडी को गाड़कर रखने से मुर्दा भी जिंदा हो सकते हैं। मालतेश इस अंधविश्वास के मकड़जाल में फंस गया। उसने दोनों बच्चों की डेड बॉडी को कई घंटों तक नमक में दबा कर रखा। जब कोई फायदा नहीं हुआ तो घरवालों ने नमक पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
मिली जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया पोस्ट के झांसे में आकर नागराज के पिता मारुति, हेमंत के पिता मालतेश और कुछ अन्य ग्रामीणों ने दोनों बच्चों की डेड बॉडी को नमक की 200 किलो की बोरियों में गाड़कर रखा। हालांकि छह घंटे बाद भी कुछ नहीं हुआ तो वे निराश हो गये। इधर, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों बच्चों के घरवालों को आश्वस्त किया गया कि सोशल मीडिया के जरिए उन्हें गुमराह किया गया था। जिसके बाद उन्होंने शवों का अंतिम संस्कार किया।
हेमंत के एक रिश्तेदार के अनुसार, सोच यह थी कि चूंकि दोनों बच्चे पहले ही मर चुके थे, इसलिए अगर वे उन्हें फिर से जिंदा करने की कोशिश करते तो खोने के लिए कुछ नहीं था। चुंकि 200 किलो नमक की लागत कम होती है। हालांकि, उन्होंने नमक की क्वालिटी पर सवाल उठाए हैं। कहा है कि नमक अगर अच्छी क्वालिटी का नहीं होगा, इसलिए ऐसा नहीं हो पाया।
नोट : इस खबर का मकसद लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ जगाना है।
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