नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के माता-पिता और केंद्र सरकार की ओर से दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने के लिए याचिका पर सुनवाई गुरुवार यानि 13 फरवरी तक के लिए टाल दी है।
विशेष लोक अभियोजक ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि सभी दोषियों और उनके वकील को नोटिस जारी किया था। एपी सिंह ने दोषी पवन गुप्ता की तरफ से नोटिस स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। एपी सिंह ने कहा कि अब वो पवन के वकील नहीं हैं। पवन के पिता अब एक नया वकील करेंगे। लोक अभियोजक ने कहा कि आज की तारीख में किसी भी दोषी की कोई याचिका लंबित नहीं हैं, इसलिए डेथ वारंट जारी किया जाए। दोषी जानबूझ कर इस मामले में देरी कर रहे हैं। कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता के पिता से कहा कि आपको सरकार की तरफ से वकील देंगे। कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता के पिता को कहा कि आपको पानी के पास लाया जा सकता है लेकिन पानी पीना है या नहीं ये आपको तय करना है।
कोर्ट ने पवन गुप्ता के पिता को कहा कि आप कह रहे हैं कि आप परसों वकील को ले आएंगे आप ऐसे व्यक्ति के पास क्यों गए? दोषी पवन गुप्ता ने कहा कि वो कल अपना वकील लेकर कोर्ट के समक्ष आएंगे। कोर्ट ने मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर से पूछा कि क्या आप पवन का केस लेना चाहती है, तब वृंदा ग्रोवर ने मना कर दिया। तब लीगल ऐड के ऑफिस से सीनियर व्यक्ति को कोर्ट में बुलाया और साथ ही लीगल ऐड में कौन कौन से वकील हैं, कोर्ट ने उनकी सूची मांगी।
निर्भया की मां अदालत में रो पड़ी। दोनों हाथों को जोड़कर जज से कहा कि हम कई सालों से अदालत के चक्कर लगा रहे हैं, इंसाफ के लिए। आज कोर्ट डेथ वारंट जारी करे। निर्भया के पिता ने भी कोर्ट में कहा कि आज की तारीख में इनको वकील देना निर्भया के साथ इंसाफ नहीं होगा। तब कोर्ट ने कहा कि नियम के हिसाब से देना होगा। उसके बाद निर्भया के पिता ने कहा हम इंसाफ चाहते हैं।
पिछले 11 फरवरी को केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डेथ वारंट जारी करने के लिए ट्रायल कोर्ट जाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कर दिया था कि इस याचिका के लंबित होने का ये मतलब नहीं है कि डेथ वारंट जारी करने के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख नहीं किया जा सकता है। उसके तुरंत बाद निर्भया के माता-पिता और केंद्र सरकार ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर किया।
पिछले पांच फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि निर्भया के गुनाहगारों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने कहा था कि निर्भया के गुनाहगार कानून का दुरुपयोग कर देर कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने निर्भया के दोषियों को सात दिनों के अंदर कानूनी विकल्प आजमाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि डेथ वारंट काफी पहले जारी हो जाना चाहिए था लेकिन जेल प्रशासन ने ढिलाई की।