बेंगलुरु। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि लोगों का सूचना से अवगत होना लोकतंत्र के लिए जरूरी है। दूसरे शब्दों में कहें तो निष्पक्ष पत्रकारिता के बिना यह अधूरा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को शहर में ‘द हिंदू’ समाचार पत्र द्वारा द हडल के वार्षिक सम्मलेन में बोल रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि वह ‘द हडल’ सम्मेलन में भाग लेकर खुश हैं, क्योंकि यह एक ऐसा नाम है जो न केवल भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है बल्कि इसका इतिहास ऐसा है, जो सभ्यता के संदर्भ में दुनिया में अद्वितीय है। उन्होंने पत्रकारिता के पांच मूल सिद्धांतों और सामाजिक भलाई में योगदान देने के लिए उसकी सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही सत्य तक पहुंचने के लिए बहस और चर्चा भारत के सामाजिक मानस में आंतरिक रूप से जुड़ी हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि परिस्थितियों से सत्य की अनुभूति होती है। पूर्वाग्रह और हिंसा सत्य की खोज को मिटा देती है। राष्ट्रपति ने कहा कि कभी-कभी हठधर्मिता और व्यक्तिगत पूर्वाग्रह सत्य को विकृत करते हैं। गांधीजी ने हमें सत्य की खोज में लगातार चलते हुए रास्ता दिखाया है जो अंततः ब्रह्मांड को समृद्ध करने वाले हर सकारात्मक गुण को समाहित करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया ने पत्रकारिता और लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया है। यह प्रक्रिया जारी है, लेकिन अपने वर्तमान चरण में इसने कई चिंताओं को भी जन्म दिया है। नया मीडिया तेज और लोकप्रिय है और लोग वही चुन सकते हैं जो वे देखना, सुनना या पढ़ना चाहते हैं। लेकिन केवल पारंपरिक मीडिया के पास, एक समाचार रिपोर्ट को प्रमाणित करने के लिए कौशल विकसित किया है और यह एक महंगा ऑपरेशन है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक मीडिया को समाज में अपनी भूमिका पर आत्मनिरीक्षण करना होगा और पाठक के पूर्ण विश्वास को फिर से अर्जित करने के तरीके खोजने होंगे।