नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते खतरे की आशंका के मद्देनजर जेल में कैदियों की भीड़ को कम करने पर विचार करने के लिए सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करें।
यह कमेटी ये विचार करेगी कि किस स्तर के कैदियों को पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि कमेटी ये विचार करे कि क्या सात साल से कम की सज़ा वाले अपराधों में बंद सज़ायाफ्ता या विचाराधीन कैदियों को छह हफ्ते के परोल पर रिहा किया जा सकता है। इस मामले में सभी राज्यों ने अपना हलफनामा दायर किया है।
सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल के महानिदेशक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तिहाड़ में कैदियों से मिलने वालों और अन्य विजिटर्स के आने पर पाबंदी लगाई गई है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या कैदियों को उनके परिवार के सदस्यों से मिलने दिया जा रहा है। तब मेहता ने कहा कि कैदियों को अपने परिवार के सदस्यों से फोन से बात करने की अनुमति दी जा रही है। मेहता ने कहा कि जेलों में अस्पतालों की पर्याप्त संख्या है।
जेल परिसर में शाम को योगा और दूसरी गतिविधियां होती हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि योगा बंद नहीं होना चाहिए। कोशिश यह होनी चाहिए कि घबराहट की स्थिति न बने। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या जेल के अंदर वाशिंग करने की पर्याप्त सुविधा है और दूसरे एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। तब मेहता ने कहा कि तीन से चार हजार मास्क का निर्माण हो रहा है और उतने ही निस्तारित किए जा चुके हैं। वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि तिहाड़ जेल में काफी भीड़भाड़ है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें बताया गया है कि उनमें विदेशी भी काफी हैं। इस पर मेहता ने कहा कि उनमें काफी ड्रग तस्कर हैं। तब दवे ने कहा कि छोटे-छोटे अपराधों में बंद और पुराने कैदियों को रिहा करना चाहिए। इससे जेलों में भीड़भाड़ कम होगी।
पिछले 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और जेल महानिदेशकों को नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि आप बताएं कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए जेल में क्या इंतजाम किए गए हैं।