वॉशिंगटन। कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को बचाने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात इस वैश्विक महामारी का वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा भी किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है। लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अभी तक कोई भी ऐसी वैक्सीन नहीं बनी है जिसे कोरोना वायरस वैक्सीन का नाम दिया जा सके।
इस बीच अमेरिका की बायोटेक फर्म इनोवियो (Inovio) ने दावा किया है कि कोरोनो वायरस वैक्सीन के परीक्षण के दौरान उत्साहजनकर परिणाम देखने को मिले हैं। फर्म ने दावा किया कि INO-4800 नाम की वैक्सीन ने 40 लोगों पर किए गए ट्रॉयल के दौरान 94 फीसदी सफल रही है।
वैक्सीन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी
क्लीनिकल ट्रॉयल के दौरान अमेरिका में 18 से 50 साल के उम्र के 40 लोगों को टीका लगाया गया। इन लोगों को चार सप्ताह में वैक्सीन के दो इंजेक्शन दिए गए। टेस्ट के परिणाम से पता चला कि INO-4800 वैक्सीन ने सभी लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया। कंपनी के अनुसार, इस दौरान वैक्सीन का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला
जेनेटिक कोड से बनाया गया है डीएनए वैक्सीन
इनोवियो कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट केट ब्रॉडरिक के अनुसार, दस जनवरी को चीन के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड जारी किया तो टीम ने उस सीक्वेंस को सॉफ्टवेयर के जरिए कोड किया और फॉर्मूला तैयार कर लिया। यह डीएनए वैक्सीन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानकर वैसे ही प्रोटीन का निर्माण कर वायरस को गुमराह करेगी। जिसके बाद जैसे ही वायरस उस प्रोटीन के समीप जाएगा तो वह वैक्सीन के प्रभाव से निष्क्रिय हो जाएगा।
स्पाइक प्रोटीन खत्म करेगा कोरोना
स्पाइक प्रोटीन से मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा। वैक्सीन से स्पाइक प्रोटीन का निर्माण होगा तो शरीर उसे वायरस समझकर ज्यादा संख्या में एंटीबॉडी बनाएगी। जबकि इस प्रोटीन से शरीर को कोई नुकसान नहीं होगा। जबकि कोरोना वायरस का खात्मा हो जाएगा।
दुनिया भर में 13 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल फेज में
बता दें कि दुनिया में वर्तमान समय में कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर 120 से ज्यादा प्रतिभागी काम कर रहे हैं। जबकि, इनमें से 13 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज में पहुंच चुकी हैं। इनमें से सबसे ज्यादा चीन की वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल में है। बता दें कि चीन में 5, ब्रिटेन में 2, अमेरिका में 3, रूस ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में 1-1 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल फेज में हैं।
कब तक मॉर्केट में आएगी वैक्सीन
तीन चरण के ह्यूमन ट्रायल सफल होने के बाद उसे संबंधित देश के दवा नियामक आयोग के पास जांच के लिए दिया जाएगा। जिसके बाद उस देश की सरकार वैक्सीन से जुड़े सभी पहलूओं का बारीकी से अध्ययन करेगी। इस दौरान यह देखा जाएगा कि वैक्सीन का इंसानों के ऊपर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं है। जिसके बाद ही इस वैक्सीन को उत्पादन के लिए मंजूरी मिलेगी। इस प्रक्रिया में औसतन 3 से 4 महीने का समय लगता है। लेकिन, कोरोना वायरस महामारी की विभीषिका को देखते हुए सभी देश इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करना चाहेंगे। जिसमें 2 महीने का समय लग सकता है।